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अगर ऐसा हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता

जयपुर। महाभारत के युद्ध के बारे में हम सभी ने सुना है। महाभारत का युद्ध उस समय का सबसे भयानक युद्ध था जिसमें न जाने कितने लोगो की मृत्यु हुई। इस युद्ध के लिए देश के अलग-अलग जगहों से आए राजाओं ने भी लड़ाई में हिस्सा लिया था। महाभारत के युद्ध में स्वयं हनुमानजी भी
अगर ऐसा हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता

जयपुर। महाभारत के युद्ध के बारे में हम सभी ने सुना है। महाभारत का युद्ध उस समय का सबसे भयानक युद्ध था जिसमें न जाने कितने लोगो की मृत्यु हुई। इस युद्ध के लिए देश के अलग-अलग जगहों से आए राजाओं ने भी लड़ाई में हिस्सा लिया था।

अगर ऐसा हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता

महाभारत के युद्ध में स्वयं हनुमानजी भी आए थे लेकिन इन्होंने इस युद्ध में हिस्सा नहीं लिया था ये अर्जुन के रथ के ऊपर झंडे में विराजमान थे। वही भगवान विष्णु के अवताल श्रीकृष्ण  महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी बने।

अगर ऐसा हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता

महाभारत के युद्ध को रोका जा सकता था। ऐसा होने पर सैकड़ों सैनिको की जान बच जाती। लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। महाभारत के युद्ध की शुरुआत द्रोपदी के कारण हुई,  जब द्रोपदी ने दुर्योदन को अंधे का अंधा बेटा कहा उसके बाद दुःशासन और दुयोधन ने द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित किया। ऐसी कई घटनाएं घटी जिन्होंने युद्ध के लिए भूमिका बनाई।

अगर ऐसा हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता

लेकिन महाभारत यु्द्ध का सबसे बडा कारण गद्दी का मोह था सत्ता की लालसा थी। जिस कारण से  एक के बाद एक घटना होती गई। माया और धन का मोह। यह मोह ही था जैसे कि हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र का अपने पुत्र का मोह। लेकिन इस युद्ध को रोका जा सकता था अगर दुर्योधन अपने भाईयों को पांडवो को पांच गांव दे देते तो लेकिन दुर्योधन का हस्तिनापुर के राज्य से मोह और सत्ता की लालसा ने अपने चचेरे भाइयों को सुई के बराबर भी राज्य नहीं देना चाहा। जिस कारण से पांडवो ने अपने अधिकार के लिए लडाई लड़नी आवश्यक हो गई थी।

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