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इनफ्लुएंजा के संक्रमण से बढ़ सकता है pneumonia का खतरा : शोध

शोधकर्ताओं ने अपने एक हालिया शोध में खुलासा किया है कि इनफ्लुएंजा के संक्रमण से बैक्टीरियल निमोनिया के खतरे की आशंका है, जिससे हर साल दुनियाभर में कई लोगों की जान जाती हैं। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित इस शोध का परीक्षण एक पशु मॉडल पर किया गया, जिसके नतीजे में मिला कि विटामिन सी जैसे
इनफ्लुएंजा के संक्रमण से बढ़ सकता है pneumonia का खतरा : शोध

शोधकर्ताओं ने अपने एक हालिया शोध में खुलासा किया है कि इनफ्लुएंजा के संक्रमण से बैक्टीरियल निमोनिया के खतरे की आशंका है, जिससे हर साल दुनियाभर में कई लोगों की जान जाती हैं। पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित इस शोध का परीक्षण एक पशु मॉडल पर किया गया, जिसके नतीजे में मिला कि विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पोषक तत्वों सहित कोशिकाओं की आमतौर पर सुरक्षा करने वाले पदार्थों का रक्त से रिसाव होता है, जिनसे फेफड़ों में एक ऐसे वातावरण का निर्माण होता है, जहां बैक्टीरिया के पनपने के आसार रहते हैं।

ये बैक्टीरिया बैक्टीरियल एंजाइम एचटीआरए के उत्पादन को बढ़कार अपने रहने योग्य एक वातावरण का निर्माण कर लेते हैं। शरीर में एचटीआरए की उपस्थिति से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ने लगता है और यह इनफ्लुएंजा संक्रमित वायुमार्गों में बैक्टीरिया के विकास को भी बढ़ावा देता है। इस एंजाइम की कमी से बैटीरियल ग्रोथ रूक जाता है।

स्वीडन में स्थित कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट से शोध के लेखक बिरगिट्टा हेनरिक्स नोर्मार्क ने कहा, “इनफ्लुएंजा के संक्रमण के दौरान निचले वायुमार्गों में न्यूमोकॉकस के पनपने की क्षमता अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ पोषक तत्वों की अधिकता वाले वातावरण पर निर्भर करती है, जैसा कि वायरल संक्रमण के दौरान होता है। साथ ही इस वातावरण में बैक्टीरिया के ढलने और इम्युन सिस्टम से खुद को मिटाए जाने से सुरक्षा करने की उसकी क्षमता भी बढ़ जाती है।”

शोध के परिणामों से पता चला है कि किस तरह से बैक्टीरिया फेफड़े में अपने अनुकूलित वातावरण के साथ एकीकृत होते जाते हैं और साथ ही इस शोध के नतीजे का इस्तेमाल इनफ्लुएंजा वायरस और न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया के बीच दोहरे संक्रमण के लिए नए थेरेपी को ढूढ़ने में भी किया जा सकता है।

शोध के एक अन्य लेखक विकी सेंडर ने कहा, “एचटीआरए एंजाइम एक प्रोटीज है, जो इम्युन सिस्टम को कमजोर बनाता है और न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया को वायुमार्गों के अंदर कोशिकाओं की सुरक्षात्मक परतों में पहुंचने में मदद देता है। इससे इस बात की संभावना बन सकती है कि फेफड़े में न्यूमोकॉकल के प्रसार को रोकने के लिए प्रोटीज अवरोधकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।”

हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या कोविड-19 के मरीज इस तरह के किसी और बैक्टीरियल संक्रमण के प्रति संवेदनशील है भी या नहीं, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है? कि इस तरह की प्रक्रिया कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार मरीजों में संभावित रूप से पाई जा सकती है।

हेनरिक्स नोमार्क ने कहा, “कारण चाहे कोई भी हो, लेकिन फेफड़े में सूजन के चलते पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट के रिसाव में वृद्धि होती है, जिससे बैक्टीरिया के रहने लायक वातावरण का विकास होता है।”

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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