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India’s power demand : भारत में ऊर्जा की मांग इस वित्त वर्ष 5.5 फीसदी बदलाव होने की उम्मीद ?

कोरोना महामारी के कारण होने वाले व्यापारिक व्यवधान वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की बिजली मांग को 4.5 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत के बीच सीमित करने पर विचार कर रहें हैं। पहले से ही कमजोर हो रखी वित्तीय स्थिति और भी तेजी से बिगड़ने वाली है। ऊर्जा की मांग में होंने वाली गिरावट पहले से
India’s power demand : भारत में ऊर्जा की मांग इस वित्त वर्ष 5.5 फीसदी बदलाव होने की उम्मीद ?

कोरोना महामारी के कारण होने वाले व्यापारिक व्यवधान वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की बिजली मांग को 4.5 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत के बीच सीमित करने पर विचार कर रहें हैं। पहले से ही कमजोर हो रखी वित्तीय स्थिति और भी तेजी से बिगड़ने वाली है। ऊर्जा की मांग में होंने वाली गिरावट पहले से  तुलना में और साथ ही अन्य अनुमानों के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी नकारात्मक वृद्धि ही देखी गई है।

India's FY21 GDP growth to be in negative territory at -4.5%: Ficci survey | Business Standard Newsअर्थव्यवस्था के खुलने के साथ ही इस वर्ष की दूसरी छमाही में मांग में सकारात्मक तोर पर बढ़त की उम्मीदें की जा रहीं हैं। फर्म के द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार , ” थर्मल सेक्टर 2020-21 में से घटकर 50 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद कर रहा है।” डिस्कॉम के नकदी संग्रह औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों से मांग में तेजी से होंने वाली कमी के कारण काफी प्रभावित हुए हैं।

India’s power demand : भारत में ऊर्जा की मांग इस वित्त वर्ष 5.5 फीसदी बदलाव होने की उम्मीद ?क्रॉस सब्सिडी के कारण टैरिफ अधिक ऊर्जा स्थति पर जारी हैं और साथ ही साथ कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान की स्थिति में काफी तेजी से वृद्धि का सामना भी कर रहें है, जब हम बात करते हैं आवासीय क्षेत्रों में नुकसान की तो आम तौर पर यह काफी कम हैं। इतना ही नहीं कृषि उपभोक्ताओं के रिसर्च फर्म का यह भी मानना ​​है कि 2021-22 में ऊर्जा के टैरिफ को बढ़ाने में वित्तीय प्रोफाइल को मजबूती चाहिए ।

UN lowers India growth rate projection to 1.2% in 2020, to recover in 2021 | Business Standard Newsहालांकि, डिस्कॉम की बात करें तो 900 अरब रुपये के राहत पैकेज से सेक्टर को अस्थायी रूप से काफी राहत मिलने वाली है, इसकी लिक्विडिटी के तनाव की पूरी वैल्यू चेन में काफी अधिक महत्वपूर्णता बनी हुई है। कंपनियों का बकाया 37 फीसदी से बढ़ गया है, जो की सालाना 1.3 ट्रिलियन रुपये हो गया है। वहीं जुलाई 2020 तक overdue 56 प्रतिशत से बढ़कर 1.17 ट्रिलियन रुपये हो गया है।

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