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एक मां ने अपनी बेटी की सूनी कोख को आबाद किया, जानें पहली बार हुए गर्भदान के बारे में

भारतीय समाज में अगर कोई औरत मां नहीं बन पाती है तो उसे समाज के ताने सुनने को मिलते हैं। भले ही इसके लिए शारीरिक अक्षमता जिम्मेदार हो पर एक महिला के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं होता है। हमारे समाज में एक नारी को तभी संपूर्ण कहा जाता है जब तक कि
एक मां ने अपनी बेटी की सूनी कोख को आबाद किया, जानें पहली बार हुए गर्भदान के बारे में

भारतीय समाज में अगर कोई औरत मां नहीं बन पाती है तो उसे समाज के ताने सुनने को मिलते हैं। भले ही इसके लिए शारीरिक अक्षमता जिम्मेदार हो पर एक महिला के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं होता है। हमारे समाज में एक नारी को तभी संपूर्ण कहा जाता है जब तक कि वह मां नहीं बन जाती है। लेकिन मेडिकल साइंस की कोशिशों के चलते जल्द ही महिलाओं को अब यह ताना नहीं सुनना पड़ेगा। दरअसल हाल ही में भारत में पहला गर्भदान किया गया है।

एक मां ने अपनी बेटी की सूनी कोख को आबाद किया, जानें पहली बार हुए गर्भदान के बारे में

अगर यह प्रक्रिया सफल हो जाती है तो कुछ ही दिनों में वैधानिक रूप से गर्भदान किया जा सकेगा। आपको बता दे कि देश का पहला गर्भाशय ट्रांसप्लांट ऑपरेशन पुणे में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। पुणे के गैलेक्सी केयर लेप्रोस्कॉपी इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल में यह अनोखा ऑपरेशन किया गया। इस तकनीक के आ जाने के बाद किसी भी महिला की सूनी कोख को गर्भाशय दान के ज़रिए फिर से आबाद की जा सकेगी।

एक मां ने अपनी बेटी की सूनी कोख को आबाद किया, जानें पहली बार हुए गर्भदान के बारे में

यह मामला सोलापुर की 21 वर्षीय एक युवती का है, जिसके शरीर में उसकी मां का गर्भाशय ट्रांसप्लांट किया गया। मां ने अपनी बेटी की कोख हीर करने के लिए अपना गर्भाशय दान कर दिया, ताकि उसकी बेटी खुद के बच्चे को जन्म दे पाए। इस जटिल ऑपरेशन के कामयाब हो जाने के बाद मां-बेटी दोनों ही काफी खुश नज़र आ रही हैं। भारत में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है। हालांकि इसमें दोनों पक्षों की लिखित सहमति ज़रूरी होती हैं।

एक मां ने अपनी बेटी की सूनी कोख को आबाद किया, जानें पहली बार हुए गर्भदान के बारे में

फिलहाल इस बारे में कोई भी कानून नहीं बनाया गया है। लेकिन शीघ्र ही स्वास्थ्य मंत्रालय इस बारे में गाइडलाइन जारी कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस ऑपरेशन को 12 एक्सपर्ट डॉक्टरों की एक टीम ने अंजाम दिया था। भारत में गर्भाशय प्रत्यारोपण का यह पहला मामला है। इस नई तकनीक से उन महिलाओं को फिर से जीने की उम्मीद मिलेगी, जिन्हें मां नहीं बन पाने के कारण समाज में दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ता हैं।

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