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प्रयोगशाला में कृत्रिम कान विकसित किया गया, भारतीय डॉक्टर्स ने किया कमाल

भारतीय डॉक्टर्स ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। दरअसल चेन्नई में डॉक्टरों के एक समूह ने प्रयोगशाला में भारत का पहला कृत्रिम कान तैयार करने का दावा किया है। डॉक्टर्स की माने तो यह कान बिल्कुल असली कान की तरह ही लगता है। इसे लैब में बनाने के लिए शोधकर्ताओं को काफी समय लगा
प्रयोगशाला में कृत्रिम कान विकसित किया गया, भारतीय डॉक्टर्स ने किया कमाल

भारतीय डॉक्टर्स ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। दरअसल चेन्नई में डॉक्टरों के एक समूह ने प्रयोगशाला में भारत का पहला कृत्रिम कान तैयार करने का दावा किया है। डॉक्टर्स की माने तो यह कान बिल्कुल असली कान की तरह ही लगता है। इसे लैब में बनाने के लिए शोधकर्ताओं को काफी समय लगा हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने ऐलान किया था कि वो जन्म से ही एक कान से ना सुन सकने वाले पांच बच्चों के लिए बिल्कुल असली दिखने वाला कृत्रिम कान विकसित कर लेंगे।

प्रयोगशाला में कृत्रिम कान विकसित किया गया, भारतीय डॉक्टर्स ने किया कमाल

इस घोषणा के एक हफ्ते बाद ही भारतीय डॉक्टरों ने प्रयोगशाला में कृत्रिम कान तैयार करके सबके सामने प्रदर्शित कर दिया है। यह सफलता चेन्नई स्थित एसआरएम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हासिल की है। इससे पहले जानवरों पर किए गए अध्ययन और प्रयोगों से यह तथ्य सामने आया था कि कान की कुछ कोशिकाएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें प्रयोगशाला में बढ़ाया जा सकता है। यह सफल प्रयोग खरगोश पर किया गया है।

प्रयोगशाला में कृत्रिम कान विकसित किया गया, भारतीय डॉक्टर्स ने किया कमाल

एसआईएमएस हॉस्पिटल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन के श्रीधर की माने तो अभी भी इस तरह के कान में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं। जन्म से बहरे बच्चे में इस तरह के कृत्रिम कान लगाए जाने में अभी भी काफी लंबा वक्त लग सकता है। क्योंकि इस प्रक्रिया में काफी जटिलताएं हो सकती हैं।

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आपको बता दे कि चेन्नई के चिकित्सकों की टीम इस तकनीक पर बीते दो साल से लगातार काम कर रही हैं। इस सफलता से पूरी दुनिया में भारतीय डॉक्टर्स की सराहना की जा रही है। हालांकि इस तरह के कृत्रिम कान का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल करने में अभी काफी मुश्किलें आ सकती हैं। लेकिन वो दिन दूर नहीं, जब किसी हादसे में अपना कान खो चुके लोग इस कृत्रिम कान की मदद से दोबारा सुन पाएंगे।

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