IND VS ENG: क्या वाकई स्पिनर्स के लिए होगी ये सीरीज?
जयपुर. भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज शुरू हेाने में महज दो दिन बाकि है। ऐसे में इस सीरीज को लेकर तरह—तरह के कयास लगाया जा रहा है। लेकिन इस समय इंग्लैंड में तेज गर्मी का मौसम है। ऐसे में यहां इस सीरीज मे पिच सूखा मिल सकता है। जो स्पिनरों को खासा मदद करेगा। इसलिए इस सीरीज में इंग्लैंड ने भी अपना दाव खेलते हुए दो साल पहले टेस्ट सीरीज से संन्यास ले चुका खिलाडी आदिल राशिद को वापस बुला लिया है।
गौरतलब है कि इस बार गर्मी की वजह से पिच में सूखा होने के कारण स्पिनरों को मदद करेगा। लेकिन भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई पिछली दो सीरीजों के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो साफ होता है कि तेज गेंदबाजों ने ही सीरीज का रूख तय किया है।
साल 2011 में खेली गई यदि 4 टेस्ट मैचों की सीरीज को देखा जाए तो गेदबाजों ने कुल 125 विकेट लिए थे। जिनमें से 102 विकेट तेज गेंदबाजों ने और महज 23 विकेट स्पिनर्स के झोली में आए थे। यदि दोनों टीमों को अलग—अलग करके देखे तो इंग्लैंड के लिए स्पिनर्स ने 13 विकेट और तेेज गेंदबाजों ने 66 विकेट अपने नाम किए थे।
अब यदि औसत लगाया जाए तो स्पिनर के 1 विकेट पर तेज गेंदबाज के 5 विकेट होते है। भारतीय टीम के स्पिनर्स ने महज 10 विकेट लिए है तो तेज गेंदबाजों ने 36 विकेट अपने नाम किए है। हालांकि यह सीरीज में भारतीय टीम चार टेस्ट मैचों की आठ पारियों में हमेशा आॅल आउट हुई है।
इसके अलावा आठ पारियों में सिर्फ एक बार ही तीन सौ का आकंडा छुआ है। इंग्लैंड टीम के 2 तेज गेंदबाज. स्टुअर्ट ब्रॉड ने 25 विकेट करीब 14 की औसत से झटके, तो जेम्स एंडरसन ने 21 विकेट करीब 26 की औसत से लिए।
इसके बाद साल 2014 में सीरीज़ 5 टेस्ट मैचों की हुई और एक बार फिर तेज गेंदबाजों का बोलबाला रहा। सीरीज में कुल 153 विकेट गेंदबाजों ने आउट किएं इसमें 118 पेसर्स और 35 विकेट स्पिनर्स के नाम रहे। दोनों टीमों को अलग कर देखें तो इंग्लैंड के लिए स्पिनर्स ने 21 विकेट झटके तो पेसर्स ने 73 विकेट लिए। वहीं भारत के लिए स्पिनर्स के 14 विकेट के मुकाबले पेसर्स ने 45 विकेट लिए।
लेकिन इस बार हालात अलग है। इस बार उम्मीद है कि पिच से स्पिनर्स को मदद मिलेगी। भारत के पास विश्व के महान स्पिनर्स की जोडी है। कुलदीप यादव और अश्विन है। इसके साथ ही रविंद्र जडेजा भी कमाल कर सकते है। अब देखना होगा कि इस सीरीज में किस का बोलबाला रहता है।