यूपी: इस शहर के प्राचीन मंदिर में है रावण की आदमकद प्रतिमा, जहां लोग चोरी-छुपे करते हैं लंकेश पूजा…
वैसे तो आम भारतीय रावण को अधर्मी मानते हैं लेकिन यूपी के बदायूं शहर में करीब 100 साल पुराना एक प्राचीन मंदिर है जहां लोग रावण की चोरी छुपे पूजा करते हैं। यूपी के बदायूं शहर में स्थित साहूकार मोहल्ले में आज से करीब 100 साल पहले पंडित बलदेव प्रसाद ने रावण का प्राचीन मंदिर बनवाया था। बलदेव रावण को प्रकांड विद्वान और परम शिव भक्त समझकर उनकी पूजा करते थे।
देखादेखी अन्य लोग भी रावण की पूजा करने लगे। आपको बतादें कि इस प्राचीन मंदिर में रावण की आदमकद प्रतिमा है। रावण की इस आदमकद प्रतिमा के नीचे शिवलिंग भी प्रतिस्थापित किया गया है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के अतिरिक्त अन्य देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं लेकिन इन सभी प्रतिमाओं का कद रावण से छोटा है। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तरी भारत का यही एकमात्र अतिप्राचीन मंदिर है जहां रावण की पूजा की जाती है।
रावण के इस प्राचीन मंदिर के निर्माणकर्ता पं. बलदेव प्रसाद का तर्क था कि रावण अतिज्ञानी था। वो जानता था कि माता सीता लक्ष्मीस्वरूपा हैं और भगवान श्रीराम विष्णु के अवतार ऐसे में रावण ने माता सीता को महल में ना रखकर अशोक वाटिका में रखा था जबकि उनके माता सीता की पहरेदारी के लिए स्त्रियों को ही नियुक्त किया था। शायद इसी तर्क को मानते हुए इस मोहल्ले के लोग रावण की पूजा करते चले आ रहे हैं।
इस मंदिर की पुजारिन रश्मि का कहना है कि चूंकि रावण को हिंदू संस्कृति में बुराई का प्रतीक माना गया है इसलिए लोग रावण की पूजा चोरी—छुपे करते आ रहे हैं। रश्मि का कहना है कि विजयदशमी के दिन इस मंदिर का कपाट बंद रहता है। रावण को अपना आदर्श मानने वाले लोग शोकवश दशहरा नहीं मनाते हैं।