जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शानिवार को नीतीश कुमार के आवास पर आयोजित की गई। इस बैठक में जेडीयू के एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव प्रास किया गया। इस प्रस्ताव के बाद नीतीश कुमार और शरद यादव कैंप दो हिस्सों में बटता हुआ दिखाई दे रहा है। क्यों कि जैसे ही जूडीयू के एनडीए में शामिल होने की घोषणा की गई उसके तुरंत बाद शरद समर्थकों ने सीएम हाउस के बाहर जमकर विरोध—प्रदर्शन किया।
आपको जानकारी के लिए बतादें कि जहां एक ओर जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक सीएम नीतीश कुमार के सीएम हाउस पर चल रही थी वहीं पटना में ही कृष्ण मेमोरियल हॉल में शरद यादव ने जन अदालत सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि मै किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि बिहार के लोगों के साथ हूं। शरद यादव ने अपील की थी कि जो नेता मंच अपनी बात रखे वो किसी का नाम लिए बगैर अपनी बात रखे।
शरद यादव के समर्थन में उतरे राजद प्रमुख लालू यादव ने बयान दिया है कि सीएम हाउस में जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक नहीं बल्कि बीजेपी की बैठक आयोजित की गई। राजद मुखिया लालू यादव ने कहा कि खुद को सृजन घोटाले से बचाने के लिए सुशील मोदी और नीतीश कुमार बीजेपी के सामने नाक रगड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को जिस प्रकार ‘साझी विरासत बचाओ सम्मेलन’ में विपक्ष का समर्थन मिला। उसे देखते हुए इस समय शरद यादव के हौसले बुलंद दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि अब जेडीयू के दो फाड़ में बट चुकी है।
इस मुद्दे पर जेडीयू के नेता केसी त्यागी का कहना है कि जहां नीतीश कुमार को 15 राज्य इकाईयों का समर्थन प्राप्त है। अगर शरद यादव चुनाव आयोग चले भी जाएं तो क्या फर्क पड़ता है। त्यागी का कहना है कि कांग्रेस और राजद दोनों इस समय शरद यादव को गुमराह कर रही हैं।
पूछे गए एक अन्य सवाल के बाद त्यागी ने कहा कि अभी इस बैठक में शरद यादव को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। हां यदि शरद यादव 27 अगस्त को आयोजित होने वाली राजद की रैली में शामिल होते हैं तो उनके खिलाफ पार्टी कोई बड़ी कार्रवाई अवश्य करेगी।
उधर शरद यादव के समर्थकों के बगावती सुर बुलंदियों पर हैं। शरद यादव के समर्थक नेता अरूण श्रीवास्तव का कहना है कि यदि लालू भ्रष्टाचारी ही थे तब नीतीश कुमार ने बिहार चुनाव जीतने के लिए उनसे हाथ क्यों मिलाया? उन्होंने ये भी कहा कि जेडीयू पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का हमे ज्यादा समर्थन प्राप्त है। ऐसे में हम बीजेपी के साथ जाकर राम मंदिर और अनुच्छेद 370 पर कोई समझौता नहीं कर सकते।
अब तो ये वक्त ही बताएगा कि सीएम नीतीश कुमार जेडीयू के बागी बन चुके वरिष्ठ नेता शरद यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता कब दिखाते हैं। इतना तो तय है कि जेडीयू की इस लड़ाई में कांग्रेस और राजद दोनों ही शरद यादव के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना साध रही हैं। ताकि बिहार में 2019 के चुनाव में मजबूती से अपना जनाधार खड़ा किया जा सके।