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पुत्रदा एकादशी जैसा दूसरा व्रत नहीं, इससे खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत होते हैं और हर व्रत की अलग अलग मान्यता होती हैं। वही पौष मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं,कि इस एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई और व्रत नहीं होता हैं। वही जिन्हें औलाद नहीं होती हैं।
पुत्रदा एकादशी जैसा दूसरा व्रत नहीं, इससे खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत होते हैं और हर व्रत की अलग अलग मान्यता होती हैं। वही पौष मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं,कि इस एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई और व्रत नहीं होता हैं। वही जिन्हें औलाद नहीं होती हैं। उन्हें यह अवश्य ही यह पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए।पुत्रदा एकादशी जैसा दूसरा व्रत नहीं, इससे खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार

यह व्रत बहुत ही शुभ और खास फलदायक माना जाता हैं। वही पापों को हरने वाली उत्तम तिथि हैं। यह माना जाता हैं,कि इस दिन बैकुंठ का द्वारा खुल जाता हैं। यह पवित्र व्रत हर महिला रख सकती हैं। वही जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करते हैं। उन्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हो जाता हैं और वही जन्म मरण के इस चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता हैं।पुत्रदा एकादशी जैसा दूसरा व्रत नहीं, इससे खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार

आपको बता दें,कि बैकुंठ एकादशी का यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का शुभ फल प्राप्त हो जाता हैंं वही इस एकादशी पर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करना भी शुभ और फलदायी माना जाता हैं। वही पीले रंग के फूल की माला भगवान विष्णु को अर्पित की जाती हैं।पुत्रदा एकादशी जैसा दूसरा व्रत नहीं, इससे खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार धूप, दीप पीले चंदन से विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की जाती हैं और तुलसी के पत्ते भी उन पर अर्पित किए जाते हैं। विष्णु भगवान को भोग लगाएं। बैकुंठ एकादशी के इस व्रत में दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत के नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी होता हैं। दशमी पर शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं किया जाता हैं।

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