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प्राचीन और आधुनिक विज्ञान का मेल कराएगा ये आईआईटी

जयपुर। भारत प्राचीन काल से विश्व गुरू के नाम से जाना जाता रहा है। सोने की चिड़िया वाली बात कोई कल्पना नहीं बल्कि एक हकीकत थी। आज भी पूरी दुनिया में भारतीय मेधा शक्ति और प्रतिभा का डंका बजता है। देश में विज्ञान के विकास की बात करे तो इस मामले में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ
प्राचीन और आधुनिक विज्ञान का मेल कराएगा ये आईआईटी

जयपुर। भारत प्राचीन काल से विश्व गुरू के नाम से जाना जाता रहा है। सोने की चिड़िया वाली बात कोई कल्पना नहीं बल्कि एक हकीकत थी। आज भी पूरी दुनिया में भारतीय मेधा शक्ति और प्रतिभा का डंका बजता है। देश में विज्ञान के विकास की बात करे तो इस मामले में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी यानी आईआईटी ने अपना किरदार बखूबी निभाया है।प्राचीन और आधुनिक विज्ञान का मेल कराएगा ये आईआईटी

कई बार इस मुद्दे पर चर्चा की जा चुकी है कि अगर भारत के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ मिलाकर कोई नया विषय या शाखा बना दी जाए तो इससे आज के दौर में व्याप्त सभी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती हैं। इसी संबंध में हाल ही में आईआईटी खड़गपुर ने एक नई योजना बनाई है। इसके तहत प्राचीन भारतीय विज्ञान और मॉडर्न साइंस को एक साथ मिलाकर एक नया कोर्स लॉन्च किया जाएगा।प्राचीन और आधुनिक विज्ञान का मेल कराएगा ये आईआईटी

जी हां, इस नए विषय का नाम विज्ञान का इतिहास और प्राचीन भारत में टेक्नॉलजी दिया गया है। बता दे कि आईआईटी के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग ने इस नए कोर्स का विकास किया है। इसमें छात्रों को प्राचीन वैदिक ज्ञान के साथ ही आधुनिक तकनीक को एक साथ पढ़ने का मौका मिल पाएगा। इससे ना केवल संस्कृति की अमूल्य धरोहर संरक्षित हो पाएगी, बल्कि भारत को दोबारा विश्व गुरू बनने में मदद मिलेगी।प्राचीन और आधुनिक विज्ञान का मेल कराएगा ये आईआईटी

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि अगले सत्र से यह नियमित पाठ्यक्रम की तरह पढ़ाया जाएगा। इसमें विज्ञान के इतिहास और प्राचीन समय के साथ-साथ आज की लेटेस्ट तकनीक के बारे में पढाया जाएगा। बता दे कि आईआईटी खड़गपुर का नाम विज्ञान और शोध के मामले में ब़ड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। ऐसे में अब देखना यह है कि इस नई योजना के द्वारा प्राचीन और आधुनिक विज्ञान के समागम का परिणाम कैसा मिलता है?

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