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तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

शास्त्रों में माना जाता है कि अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति। तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति। यानि अन्य जगह किया हुआ पाप तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाता है, पर तीर्थ में किया हुआ पाप वज्रलेप हो जाता है। तीर्थ का पुण्य तब ज्यादा मिलता है जब व्यक्ति अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरु को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है, ऐसे उद्देश्य से किये तीर्थ में व्यक्ति को तीर्थ स्नान के फल का बारहवां भाग प्राप्त हो जाता है।
तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

जयपुर। हिन्दू धर्म में तीर्थ यात्रा करने को काफी महत्व दिया जाता है। साथ ही तीर्थ यात्रा करने से पुण्य फल प्राप्त होता है व पाप कम होते हैं। लेकिन तीर्थ यात्रा करने का उद्देश्य के साथ ही कुछ नियम भी होते हैं जिन नियमो को ध्यान में रख कर तीर्थ यात्रा करने से तीर्थ यात्रा का शुभ फल मिलता है।

तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

  • जब भी तीर्थ यात्रा के लिए जाए तो रास्ते में मिलने वाले असहाय की मद्द करें व सामर्थ के अनुसार दान करें।
  • रास्ते में व्यक्ति को स्नान, दान, जप आदि करना चाहिए, इसके साथ ही वह रोग एवं दोष से मुक्ति मिलती है।
  • शास्त्रों में माना जाता है कि अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति। तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति। यानि अन्य जगह किया हुआ पाप तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाता है, पर तीर्थ में किया हुआ पाप वज्रलेप हो जाता है।

तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

  • तीर्थ का पुण्य तब ज्यादा मिलता है जब व्यक्ति अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरु को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है, ऐसे उद्देश्य से किये तीर्थ में व्यक्ति को तीर्थ स्नान के फल का बारहवां भाग प्राप्त हो जाता है।

तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

  • जो दुसरों के धन से तीर्थ यात्रा करता है, उसे पुण्य का सौलहवां भाग मिलता है, और जो दूसरे कार्य के प्रसंग से तीर्थ में जाता है उसे उसका आधा फल प्राप्त होता है।
  • तीर्थ यात्रा का पूर्ण फल तभी मिलता है जब किसी आत्मा को जाने-अनजाने में कष्ट ना पहुंचाया हो। जब मन के आचार, विचार, आहार, व्यवहार और संस्कार शुद्ध और पवित्र हो।

तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

शास्त्रों में माना जाता है कि अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति। तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति। यानि अन्य जगह किया हुआ पाप तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाता है, पर तीर्थ में किया हुआ पाप वज्रलेप हो जाता है। तीर्थ का पुण्य तब ज्यादा मिलता है जब व्यक्ति अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरु को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है, ऐसे उद्देश्य से किये तीर्थ में व्यक्ति को तीर्थ स्नान के फल का बारहवां भाग प्राप्त हो जाता है। तीर्थ यात्रा के शुभ फल के लिए ध्यान में रखें इन बातों को

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