Samachar Nama
×

अगर मनोकामना पूरी करनी है तो करना होगा इस वृक्ष के दर्शन

दुनियाभर में सभी लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तरह-तरह के कार्य करते है। इन सबसे अलग एक ऐसा वृक्ष जिसके सामने जाकर जो भी अपनी मनोकामना मांगता है वह पूरी हो जाती है। जानकारी के अनुसार हिमाचल में एक ऐसा वृक्ष जो पहाड़ियों के चारो ओर से घिरा हुआ है। जहां यह वृक्ष
अगर मनोकामना पूरी करनी है तो करना होगा इस वृक्ष के दर्शन

दुनियाभर में सभी लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए तरह-तरह के कार्य करते है। इन सबसे अलग एक ऐसा वृक्ष जिसके सामने जाकर जो भी अपनी मनोकामना मांगता है वह पूरी हो जाती है। जानकारी के अनुसार हिमाचल में एक ऐसा वृक्ष जो पहाड़ियों के चारो ओर से घिरा हुआ है। जहां यह वृक्ष स्थित है ठीक इसी के पास एक गुरूद्वारा भी स्थित है। जिस गांव में यह गुरूद्वारा स्थित है उस गांव को टोका गांव के नाम से जाना जाता है। बताया गया है कि टोका गांव जो हिमाचल राज्य में तथा गुरूद्वारा हिमाचल में स्थित है। पास ही में एक नदी जिसको अरूण नदी के नाम से जाना जाता है इसके तट पर गुरूद्वारा का निर्माण हुआ था। जानकारी के अनुसार गुरू गोविंद सिंह जी और पावटा साहिब के बीच सन् 1689 मे युद्व हुआ था जिसमें युद्व जितने के बाद गुरू गोविंद सिंह जी इसी गुरूद्वारे में करीब 13 दिनों तक विश्राम किया था। यहां के इतिहास को देखते हुए यह बताया गया है कि टोका गांव में आए दिन कोई ना कोई घटनाएं घटित होती थी इसलिए इस गांव का नाम टोका गांव पड गया था तथा यह भी कहा गया है कि जब गुरू गोबिंद सिंह जी युद्व जीतने के बाद विश्राम करने यहां आए थे तो उनके सो जाने के बाद उनके घोड़े गांव के लोगों ने चुरा लिए। अगले दिन उन्होनें अपने चेतक को गायब पाकर वह चिन्तित हो गए।

गांव वालें उन्ही घोडों को बेचने के लिए चंडीगढ़ के पास स्थित लाहा गांव चले गए। गांव वाले जिसको घोडा बेचने गए थे उसने उन सभी घोडों को पहचान लिया। उसे अंदाजा हुआ कि शायद ये घोडे चुराए गए है। खरीददार घोडो के साथ गांव वालों को गुरू गोविंद सिंह जी के पास ले गए। इस पर क्रोधित होकर गोविंद जी ने श्राप दिया कि जीवन भर तुम हर चीज की कमी के लिए तरसोगे। इस गुरूद्वारे में गोविंद सिंह जी को कई निशानियों व चित्रों में माध्यम से दर्शाया गया है। मनोकामना पूरी करने वाले इस वृक्ष को भी गोविन्द सिंह ने उगाया था।

माना जाता है कि गुरू जी महाराज ने आम खाने के बाद उसकी गुठली को यहीं पर फेंक दिया था जिससे आज यह एक विशाल वृक्ष के रूप में खडा है। जिसकी आज पूरी दुनिया में मान्यता है। गोविन्द जी के श्राप के बाद तो मानो गांव में अकाल सा पड गया हो। पूरे गांव में पानी की कमी हो गई। गांव के लोग बीमार होने लगे। उन्हें ऐसी बीमारी होने लगी जिसका कोई ईलाज नहीं है। इस श्राप से मुक्त होने के लिए सभी गावं वालों ने गोविन्द सिंह जी से माफी मांगी तथा सभी ने जीवनभर तक इस गुरूद्वारे की सेवा करने का प्रण लिया।

यह भी पढें :- जानिए, वो कौन है जो बच्चों को उतार देता है मौत के घाट

Share this story