अभी से करना होगा नदियों का संरक्षण, नही तो आयेगी ये गंभीर समस्याएं
जयपुर। कहा जाता है कि भारत की अधिकांश जनसंख्या बारिश और नदियों के पानी पर निर्भर होती है। लेकिन आने वाला समय ऐसा होना वाला है कि यहां के लोगों को दोनों प्रकार की निर्भरता को भूलना होगा। ऐसा इसलिए कहा गया है कि क्योंंकि सरकार नदियों के संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है।
कहा जा रहा है कि बदलते हुए वातावरण के कारण अधिकांश नदियां अपना स्वरूप बदल रही है। जिसमें से उतराखंड की नदियों के लिए विशेष तौर पर कहा गया है। उतराखंड की नदियों के लिए कहा गया है कि मौजूदा नदियों में से 40 फीसदी नदियां अपने स्वरूप को तेजी से बदल रही है।
इस बात का खुलासा दो दिन तक हुए यूकर्स राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन मेें किया गया। जिसमें कहा गया कि नदियों के इस तरह बदलते स्वरूप के कारण मानव के जीवन पर संकट आसानी से देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि जैसे—जैसे यहा के ग्लेशियर पिघल रहे है वैसे ही नदियां में पानी की आपूर्ति कम होती जा रही है।
जहां तक जाना जाता है भारत की अधिकांश जनसंख्या नदियों के पानी पर ही निर्भर रहती है। यदि इन नदियों का अस्तित्व खत्म हो गया तो आदि से ज्यादा जनसंख्या का रोजगार का साधन छिन जायेगा।
क्योंकि भारत की आदि से ज्यादा या गांवों में निवास करती है, जो खेती और मछली पालन से अपना गुजारा करती है। इससे शहरों को भी फायदा ही है। यदि पानी की समस्या आती है,तो खेती नहीं हो पायेगी। जिसका प्रभाव ग्रामीण जनसंख्या के साथ ही शहरी जनसंख्या पर पड़ेंगा।