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मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

विशेषज्ञों ने मलेरिया रोग के बारे में जानकारी दी है। जिसमें बताया गया है कि यह बीमारी मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलती है। मलेरिया एक पैरासाइटिक रोग है क्योंकि यह एनोफेलीज मच्छर प्लासमोडियम नामक पैरासाइट ढोती हैं। मलेरिया होने की पहचान होने पर खूद से किसी पेनिकलर का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। वैसे पेनकिलर का ज्यादा इस्तेमाल से सीने में जलन, पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है।
मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

जयपुर। मलेरिया एक घातक बीमारी के रूप में जानी जाती है। अगर इसका समय पर इलाज शुरू नहीं किया जाता है तो ​इससे मरीज की जान भी जा सकती है। मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलती है। मलेरिया एक पैरासाइटिक रोग है क्योंकि यह एनोफेलीज मच्छर प्लासमोडियम नामक पैरासाइट ढोती हैं।

मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

जब यह मच्छर किसी स्वस्थ इंसान को काटता है तो यह पैरासाइट खून में जाकर खून के रेड सेल्स को नष्ट कर देता है। इसके संबंध में धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर गौरव जैन ने इस बारे में बताते हुए कहा कि मलेरिया होने की पहचान होने पर खूद से किसी पेनिकलर का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

वैसे पेनकिलर का ज्यादा इस्तेमाल से  सीने में जलन, पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है। विशेषज्ञ इसके बारे में बताते है कि अगर गर्भवती महिला मलेरिया से संक्रमित हो तो यह संक्रमण उसके द्वारा बच्चे तक पहुंच सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह से इलाज कराना चाहिए।

मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

भारत में 1.31 मिलियन लोगों में मलेरिया के मामले देखे गए, जिनमें 23,900 लोगों की मौतें चुकी है। पूरी दुनिया में मलेरिया के मरीजों की तुलना में साल 2017 में मलेरिया के कुल मामलों में से 80 प्रतिशत मामले भारत में थे। हालांकि 2016 की तुलना में भारत में 2017 में मलेरियां के मरीजों की संख्या कम हुई ​है।

मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

मलेरिया से बचने के लिए अपने घर के आस—पास बारिश का पानी जमा न होने दे, रूम कूलर और फूलदान का पानी हफ्ते में एक बार जरूरी तौर बदले और मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी और मच्छर मारने की दवा का प्रयोग करें।

विशेषज्ञों ने मलेरिया रोग के बारे में जानकारी दी है। जिसमें बताया गया है कि यह बीमारी मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलती है। मलेरिया एक पैरासाइटिक रोग है क्योंकि यह एनोफेलीज मच्छर प्लासमोडियम नामक पैरासाइट ढोती हैं। मलेरिया होने की पहचान होने पर खूद से किसी पेनिकलर का इस्तेमाल ना करें क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। वैसे पेनकिलर का ज्यादा इस्तेमाल से सीने में जलन, पेट दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है। मलेरिया होने की दशा में खुद से ही न ले दवा

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