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आईआईटी खड़गपुर द्वारा विकसित ₹500 वाले ‘कोविरैप’ टेस्ट को आईसीएमआर से मिली मान्यता

बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई नैदानिक मशीन कोविडरैप को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा कोविड-19 का पता लगाने में इसकी प्रभावशीलता के लिए सफलतापूर्वक मान्यता दी गई है। संस्थान ने बुधवार को यह जानकारी दी। आईआईटी-खड़गपुर के अधिकारियों के मुताबिक, ‘कोवीरैप’ एक घनाकार जांच उपकरण है, जो
आईआईटी खड़गपुर द्वारा विकसित ₹500 वाले ‘कोविरैप’ टेस्ट को आईसीएमआर से मिली मान्यता

बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई नैदानिक मशीन कोविडरैप को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा कोविड-19 का पता लगाने में इसकी प्रभावशीलता के लिए सफलतापूर्वक मान्यता दी गई है। संस्थान ने बुधवार को यह जानकारी दी।

आईआईटी-खड़गपुर के अधिकारियों के मुताबिक, ‘कोवीरैप’ एक घनाकार जांच उपकरण है, जो एक घंटे में नतीजे दे सकता है। यह दूर-दराज के और ग्रामीण इलाकों में कोरना वायरस संक्रमण की जांच के कार्य में तेजी लाने के लिये एक प्रभावी औजार साबित हो सकता है।

वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा,”इस नवोन्मेष ने आम आदमी के लिये कोविड-19 की उच्च गुणवत्तायुक्त और सटीक नतीजे देने वाली जांच प्रणाली को जांच की करीब 500 रुपये की लागत के साथ वहनीय बना दिया है, जिसे (इस खर्च को) सरकारी सहायता के जरिये और भी घटाया जा सकता है। यह मशीन 10,000 रुपये से भी कम लागत पर विकसित की जा सकती है, इसमें न्यूनतम मूलभूत ढांचे की जरूरत होगी, जिस कारण यह प्रौद्योगिकी आम आदमी के लिये वहनीय होगी। नयी मशीन में जांच प्रक्रिया एक घंटे के अंदर पूरी हो जाएगी।”

आईआईटी-खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वी.के. तिवारी ने अपने एक बयान में कहा, यह यकीनन चिकित्सा विज्ञान के इतिहास, खासकर वायरोलॉजी के क्षेत्र में सबसे अहम योगदानों में से एक है और साथ ही यह एक बड़े पैमाने पर पीसीआर आधारित टेस्ट की जगह लेने के लिए भी तैयार है।

बताते चलें की कोविरैप का आईसीएमआर द्वारा अधिकृत एक प्रयोगशाला में अपने दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए बेहद सावधानीपूर्वक व दृढ़ता से मरीजों के नमूनों का परीक्षण करने के बाद परिषद ने कोविड-19 का पता लगाने की जांच का प्रमाणीकरण किया है।

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