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मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

बॉलीवुड के मशहूर और शानदार अभिनेता मनोज वायपेयी अपने अभिनय के लिए जाने जाते हैं। वो कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। आज पूरा देश मनोज वायपेयी के अभिनय का कायल है। लेकिन एक समय था जब मनोज वायपेयी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल में एडमिशन नहीं मिलने पर आत्महत्या तक करने
मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

बॉलीवुड के मशहूर और शानदार अभिनेता मनोज वायपेयी अपने अभिनय के लिए जाने जाते हैं। वो कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं। आज पूरा देश मनोज वायपेयी के अभिनय का कायल है। लेकिन एक समय था जब मनोज वायपेयी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल में ​एडमिशन नहीं मिलने पर आत्महत्या तक करने का ख्याल आ गया था। हालांकि अब अभिनेता का मानना है कि उन्हें नाम शब्द सुनने की आदत हो गई है। वो अपमान का आनंद उठाना शुरू कर दिया है। करियर के शुरूआती दौर में उन्होंने जितनी बार ना सुना, उसने उन्हें व्यावहारिक बनाया और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। ऐसी ही कुछ बातें मनोज वायपेयी ने हाल ही में धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में कहा कि, जहां उनकी फिल्म ‘भोंसले’ दिखाई गई।मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

उन्होंने कहा कि, मैंने महसूस किया कि इनकार सुनना कुछ नहीं है बल्कि यह संकेत है कि आपको और कड़ी मेहनत की जरुरत है। इनकार सुनना नकारात्मक बात नहीं है बल्कि यह आपको चीजों को यथार्थवादी और व्यावहारिक रूप से देखने के काबिल बनाता है। मैंने लोगों से इनकार सुनने, परेशानियों और ‘ना’ सुनने की बेइज्जती का आनंद उठाना शुरू कर दिया।मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

उन्होंने आगे अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा कि, इससे मुझे अगली बार दोगुनी ताकत के साथ दरवाजा खटखटाने की ताकत मिलती है। मेरा मानना है कि यह इस पर निर्भर करता है कि आप कैसे इसे देखते हैं। मैं यह नहीं कहूंगा कि आपको दुख नहीं हो या आप उदास महसूस नहीं करोगे लेकिन मायने यह रखता है कि आप कैसे बेहतर तरीके से इससे बाहर आ सकते हैं।मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

मनोज वायपेयी ने कहा कि, जो बात मुझे प्रेरित करती हैं, वे दर्शक हैं जो मेरे काम को पसंद करते हैं। मुझे पता है कि अगर मेरी फिल्म थिएटर में है तो जो मेरे दर्शक हैं वे कम नहीं होंगे। मुझे उन दर्शकों को खोने का डर नहीं है जिन्हें मैंने कमाया है, मेरा मकसद संख्या बढ़ाना है।मनोज वायपेयी उठाते हैं अपनी बेइज्जती का आनंद बोले, इनकार सुनने में मजा आने लगा है…

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