महाशिवरात्रि: जीवन में संतुलन बनाने की शिक्षा भगवान शिव से सिखें
जयपुर। शास्त्रों में सृष्टि के पालनकर्ता के साथ संहारक के रुप में भगवान शिव को जाना जाता है। भगवान शिव का जीवन एक रहस्य की तरह, भगवान शिव गृहस्थ जीवन के साथ ही वैराज्ञ्य का जीवन जीते हैं, भगवान शिव को जितना जानने की कोशिश करते हैं उतना ही रहस्य में घिरते जाते है। आज हम
जयपुर। शास्त्रों में सृष्टि के पालनकर्ता के साथ संहारक के रुप में भगवान शिव को जाना जाता है। भगवान शिव का जीवन एक रहस्य की तरह, भगवान शिव गृहस्थ जीवन के साथ ही वैराज्ञ्य का जीवन जीते हैं, भगवान शिव को जितना जानने की कोशिश करते हैं उतना ही रहस्य में घिरते जाते है। आज हम इस लेख में शिवजी के कुछ स्वरूपों के बारे में बता रहें हैं, जिससे जीवन में कई बाते सिखने को मिलती हैं।
- भगवान शिव गृहस्थ जीवन में रहकर भी योगी का जीवन जीते हैं। भगवान शिव सांसारिक व्यवस्था को व्यवस्थित रखते हुई संयासी का जीवन व्यतित करने के साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करते है।
- भगवान शिव ने मां पार्वती को हमेशा अपने बराबर में रखते हैं इन्होंने मातृ-शक्ति को हमेशा बराबरी को दिखाया है। इस तरह भगवान शिव ने बताया है कि गृहस्थ जीवन में पति और पत्नी दोनों का स्थान बराबर है।
- भगवान शिव ने संन्यासी होते हुए गृहस्थ जीवन में अपने सारे दायित्व का निर्वहन करना सिखाया हैं। भगवान शिव के परिवार में सभी अपने व्यक्तित्व में एक से बढकर एक योग्य हैं। भगवान शिव के परिवार में एकता है। बैल, सिंह, सर्प, मोर जो प्राकृतिक रुप में दुश्मन होते हैं लेकिन इस परिवार में सभी एक साथ रहते हैं। शिवजी का परिवार एक पूर्ण परिवार हैं।
- भगवान शिव को शास्त्रों में संहारकर्ता देवता माना जाता है लेकिन भगवान शिव संहारक के साथ ही पालनकर्ता के रुप में माने जाते हैं। भगवान शिव सभी पर समान कृपा करते हैं।
- भगवान शिव अपने साथ भूत-पिशाचों सर्प रखते हैं जिनको कोई भी अपने पास रखना पसंद नहीं करते हैं। इन सभी को भगवान शिव ने अपने पास रखा हुआ है।