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कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

पार्किंसन रोग नर्वस सिस्टम में तेजी से फैलने वाला विकार है, जो आपकी एक्टिविटी को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है। यह रोग कई बार सिर्फ एक हाथ में होने वाली कम्पन के साथ शुरू होता है। लेकिन, जब कंपकपी पार्किंसन रोग का सबसे मुख्य संकेत बन जाती है तो यह विकार अकड़न या स्लो एक्टिविटी का कारण भी बनता है।
कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

 

जयपुर । आज कल एंटीबायोटिक का सेवन ऐसा हो गया है जैसे कोई मिठाइ का सेवन हो । डॉक्टर्स भी इनको ऐसे लिख देते हैं जैसे एंट्रिबायोटिक के बिना कोई बीमारी ठीक ही नही हो सकती है । कई कई बार तो बहुत ही सामन्या से सर्दी जुकाम बुखार तक में एंटीबायोटिक खाने की सलाह दे दी जाती है ।

कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

पर क्या आप जानते हैं की इन छोटी बीमारियों में भी इंका सेवन करना आपको कितना भारी पड़ सकता है ? जी हाँ असल में एंटीबायोटिक हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बहुत प्रभावित करती है इसके सेवन के कारण स्वयं बनने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता बाधित हो जाती है जिसके कारण गंभीर रोगों से लड़ने की हमारे शरीर की क्षमता बिलकुल  खत्म हो जाती है । इतना ही नही इसके कारण गंभीर बीमारियों के होने का भी खतरा होता है ।कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

अगर आप एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं, तो आपको सावधान हो जाने की आवश्यकता है, क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार इन दवाओं और पार्किंसन बीमारी के बीच गहरा संबंध है। अध्ययन में बताया गया कि कुछ एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल से लोगों को पार्किंसन बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

पार्किंसन रोग नर्वस सिस्‍टम में तेजी से फैलने वाला विकार है, जो आपकी एक्टिविटी को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है। यह रोग कई बार सिर्फ एक हाथ में होने वाली कम्पन के साथ शुरू होता है। लेकिन, जब कंपकपी पार्किंसन रोग का सबसे मुख्य संकेत बन जाती है तो यह विकार अकड़न या स्‍लो एक्टिविटी  का कारण भी बनता है।कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

पार्किंसंस बीमारी शारीरिक गतिविधियों के विकारों की श्रेणी में आता है, जिसमें दिमागी कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं। शुरुआती सालों में इसके लक्षण काफी धीमे होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। इसके चार मुख्य लक्षण हैं। इसमें हाथ, बाजू, टांगों, मुंह और चेहरे में कंपकपाहट होना, जोडों या धड़ में कठोरता आना, हरकतों में धीमापन और सुंतलन व तालमेल बिगड़ना शामिल हैं। शुरू में रोगी को चलने, बात करने और दूसरे छोटे-छोटे काम करने में दिक्कत महसूस होती है।

 

 

 

 

पार्किंसन रोग नर्वस सिस्‍टम में तेजी से फैलने वाला विकार है, जो आपकी एक्टिविटी को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है। यह रोग कई बार सिर्फ एक हाथ में होने वाली कम्पन के साथ शुरू होता है। लेकिन, जब कंपकपी पार्किंसन रोग का सबसे मुख्य संकेत बन जाती है तो यह विकार अकड़न या स्‍लो एक्टिविटी  का कारण भी बनता है। कैसे एंटीबायोटिक का सेवन बन सकता है गंभीर बीमारी का कारण

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