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सजातीय विवाह भारतीय पुरुषों को बना सकता है नपुंसक

शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि स्पर्म्स के उत्पादन के लिए जिम्मेदार वाई क्रोमोसोम्स के घटने से भारतीय पुरुषों में नपुंसकता विकसित हो सकती है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि नस्लीयता, स्वजातीय विवाह और लंबे समय तक भौगोलिक अलगाव ने भारतीय आबादी में इन क्रोमोसोम्स
सजातीय विवाह भारतीय पुरुषों को बना सकता है नपुंसक

शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि स्पर्म्स के उत्पादन के लिए जिम्मेदार वाई क्रोमोसोम्स के घटने से भारतीय पुरुषों में नपुंसकता विकसित हो सकती है।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि नस्लीयता, स्वजातीय विवाह और लंबे समय तक भौगोलिक अलगाव ने भारतीय आबादी में इन क्रोमोसोम्स को घटाने में अहम भूमिका निभाई है।

सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलेक्यूलर बॉयोलॉजी के के. थंगराज समेत अन्य शोधार्थियों के मुताबिक मनुष्य के वाई क्रोमोसोम के एजूसपर्मिया कारक (एजेडएफ) के क्षेत्रों के घटने से पुरुषों में वृषण और स्पर्म संबंधी विकार पैदा होते हैं।

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 973 नपुंसक पुरुषों के खून के नमूने लिए, जिसमें से 771 एजूसपर्मिया (स्पर्म बिल्कुल भी नहीं), 105 ओलिगोजूसपर्मिया (स्पर्म की कम संख्या) और 97 ओलिगोटेकाटोजूसपर्मिया (स्पर्म की कम संख्या के साथ ही उनका असामान्य आकृति और आकार) के मरीज थे।

इस अध्ययन में पाया गया कि भारतीय पुरुषों में नपुंसकता बढ़कर 29.4 फीसदी हो चुकी है, जिसमें नान एलेलिक होमोलोगस रिकॉम्बिनेशन (डीएनए का सीक्वेंस) (सजातीय विवाह के कारण) 25.8 फीसदी में पाया गया।

शोधकर्ताओं का कहना है कि भारतीय आबादी अपने मूल को लेकर विशिष्ट हैं और यहां स्वजातीय विवाह का प्रचलन पिछले दो हजार सालों से है। ऐसे में वाई क्रोमोसोम में एजेएफ के घटने और भारतीय नपुंसक पुरुषों के साथ उनके संबंध पर अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। ऐसे ही अध्ययन दुनिया के अन्य हिस्सों में भी किए गए हैं।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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