Holashtak 2021: होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए इससे जुड़ी कथा
हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक के समय को होलाष्टक माना गया हैं होलाष्टक होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को कहा जाता हैं इस साल होलाष्टक 22 मार्च से शुरू हो जाएगा जो कि 28 मार्च तक यानी होलिका दहन तक रहेगा। 28 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 29 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी। जिसे धुलेंडी के नाम से भी जाना जाता हैं तो आज हम आपको प्रचलित कथाओं के द्वारा बताने जा रहे हैं कि होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता हैं तो आइए जानते हैं।
होलाष्टक के दौरान आठ दिनों तक कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माना जाता हैं होलाष्टक के अशुभ होने को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा भक्त प्रहलाद और दूसरी कथा कामदेव से जुड़ी मानी जाती हैं।
पौराणिक कथा के मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को भगवान श्री हरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी थी। आठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान मिला था वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी। मगर भक्त प्रहलाद बच गए थे।
दूसरी कथा के अनुसार कहते हैं कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन मास की शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी, तब शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।