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जानिए होलाष्टक के आठों दिन क्यों नहीं होते शुभ कार्य

होली के इस महापर्व में होलाष्टक का विशेष महत्व बताया गया हैं जिसमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन यानी फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को ही होलाष्टक कहा जाता हैं। इस साल तीन मार्च यानी की मंगलवार से होलाष्टक का प्रारंभ हो रहा हैं।
जानिए होलाष्टक के आठों दिन क्यों नहीं होते शुभ कार्य

हिंदू धर्म में होली का पर्व प्रमुख माना जाता हैं वही रंगों के इस महापर्व को देश और दुनियाभर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं लोग रंग गुलाल की मस्ती में सराबोर होकर आपसी भाईचारे को निभाते हुए प्रेम से होली कर त्योहार मनाते हैं। Image result for होलाष्टकहोली के इस महापर्व में होलाष्टक का भी विशेष महत्व बताया गया हैं जिसमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन यानी फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को ही होलाष्टक कहा जाता हैं। आपको बता दें कि इस साल तीन मार्च यानी की मंगलवार से होलाष्टक का प्रारंभ हो रहा हैं।Image result for होलाष्टक

जानिए होलाष्टक में क्या करें—
बता दें कि होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी लकड़ी, उपले व होलिका दहन के लिए दो डंडे स्थापित किए जाते हैं एक डंडे को प्रह्लाद और दूसरे डंडे को उनकी बुआ होलिका माना जाता हैं इसी दिन को होलाष्टक प्रारंम्भ का दिन माना गया हैं हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इन दिनों में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करना चाहए। Image result for होलाष्टकविवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण और विद्यारंभ आदि जैसे शुभ कार्य या कोई नवीन कार्य प्रारंभ करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित माना जाता हैं। ज्योतिष मान्यताओं के मुताबिक अष्टमी से पूर्णिमा तक नवग्रह भी उग्र रूप लिए रहते हैं यही कारण हैं कि इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका बनी रहती हैं। इस दिनों में मनुष्य के निर्णय लेने की शक्ति कमजोर हो जाती हैं।
जानिए होलाष्टक के आठों दिन क्यों नहीं होते शुभ कार्य

होली के इस महापर्व में होलाष्टक का विशेष महत्व बताया गया हैं जिसमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता हैं हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन यानी फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को ही होलाष्टक कहा जाता हैं। इस साल तीन मार्च यानी की मंगलवार से होलाष्टक का प्रारंभ हो रहा हैं। जानिए होलाष्टक के आठों दिन क्यों नहीं होते शुभ कार्य

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