फुटबाल खिलाड़ी बनना चाहती थीं उड़नपरी हिमा दास
जयपुर( स्पोर्ट्स डेस्क)। आपको याद होगा भारत की उस उड़न पारी का नाम जिसे हिम दास कहकर पुकारा जाता है । आपको याद होगा कि हिमा दास ने टाम्पेरे में आयोजित आईएएफ विश्व अंडर 20 चैंपयिनशिप में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था । गौरतलब है कि हिमा ने फिनलैंड के राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत अपने की थी। इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयुवर्गों में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गईं थी । उस दौरान हिमा दास ने 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की थी । शायद आप नहीं जानते होंगे कि हिमा दास एक गरीब परिवार से आती हैं । हिमा दास के पिता असम में नौगांव जिले के ढिंग गाव के रहने वाले हैं । वह गांव में चावल की खेती करते हैं हिमा अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। हिमा अपने शुरुआती करियर में फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहती थीं । इससे पहले जून माह में हिमा दास ने 58वीं राष्ट्रीय अंतर-राज्य एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर एशियाई खेलों का टिकट हासिल कर लिया था। हिमा चैंपियनशिप की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। सातवीं लेन में दौड़ रही 18 साल की हिमा ने 23.10 सेकेंड के साथ पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने ओडिशा की दुती चंद को पछाड़कर स्वर्ण पदक पर कब्जा भी जमाया था। हिमा दास में जज्बा है और इतनी छोटी से उम्र में हिमा दास ने वो कर दिखाया जिसके लोग सपने देखा करते हैं ।