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‘Heart से महसूस हुआ प्यार’

दोस्तों, इस साल 16 मई को चीन का 31वां राष्ट्रीय विकलांग दिवस था। विकलांगों के प्रति सुंदर व शुद्ध प्रेम शायद केवल एक विलासिता है। लेकिन कुछ विकलांगों ने अपनी कोशिशों से न सिर्फ गौरव की जिंदगी बनाई है, बल्कि मीठा प्रेम भी प्राप्त किया है। इस रिपोर्ट में हम आपको महसूस करवाएंगे ऐसे प्रेम
‘Heart से महसूस हुआ प्यार’

दोस्तों, इस साल 16 मई को चीन का 31वां राष्ट्रीय विकलांग दिवस था। विकलांगों के प्रति सुंदर व शुद्ध प्रेम शायद केवल एक विलासिता है। लेकिन कुछ विकलांगों ने अपनी कोशिशों से न सिर्फ गौरव की जिंदगी बनाई है, बल्कि मीठा प्रेम भी प्राप्त किया है। इस रिपोर्ट में हम आपको महसूस करवाएंगे ऐसे प्रेम को, जिसे देखा नहीं जा सकता है। दोस्तों, हमारे आसपास शायद कुछ ऐसे लोग रहते हैं। जब सड़क पार करते समय हम केवल आंखों से ट्रैफिक लाइट देखकर आगे बढ़ते हैं, लेकिन वे केवल शोर में चेतावनी आवाज सुनकर चलने या रुकने का फैसला करते हैं। सीढ़ी चढ़ाना या उतारना हमारे लिये बहुत आसान बात है। लेकिन उन्हें परिवार जनों का निर्देशन चाहिए।

थोंग : सीढ़ी पर चढ़ाओ।

ल्यू : ओह, सीढ़ी पर चढ़ाओ, अच्छा।

थोंग : पांच सीढ़ियां हैं।

ल्यू : अच्छा, पांच सीढ़ियां, पता है।

थोंग : एक, दो, तीन, चार, पांच। ठीक, पहुंच गया।

ल्यू : हां, हां।

यह बातचीत आज की कहानी में दो मुख्य पात्रों की है। वे नेत्रहीन कलाकार ल्यू चिंग फिंग व उनकी पत्नी थोंग फंग लै हैं। 64 वर्षीय ल्यू चिंग फिंग बचपन से ही ग्लोकोमा यानि आंख की रोशनी कम होनी की बीमारी से पीड़ित हैं। बाद में ऑप्टिक शोष और मोतियाबिंद आदि रोगों के कारण वे कुछ भी नहीं देख पाते हैं, उनकी आंखों के सामने बिल्कुल अंधेरा-सा हो गया है। ध्यानाकर्षक बात यह है कि उनकी पत्नी एकदम स्वस्थ हैं। अपने गुजरे दिनों को याद करते हुए बताया कि वे दोनों संयोग से पुराने सहपाठियों के एक मिलन समारोह में एक-दूसरे से मिले थे, फिर आपस में जान पहचान हुई, और प्रेमजाल में फंस गए। हालांकि उसी समय ल्यू की आंखें इतनी खराब नहीं थीं। लेकिन कोई भी मां-बाप अपनी लाडली बेटी का हाथ ऐसे पुरुष को नहीं देना चाहेगा, जिसकी आंखों में कुछ समस्या हो। इसलिए थोंग फंग लै के मां-बाप ने उनके प्रेम व शादी का कड़ा विरोध किया और एतराज जताया व रोकथाम किया।

उस समय को याद करते हुए थोंग फंग लै ने कहा, उस समय मेरी मां ने हमारे प्रेम का कड़ा विरोध किया। मां ने कहा कि उनकी आंखें स्वस्थ नहीं हैं। शायद भविष्य में वे अंधे हो जाएंगे। तब मैंने कहा कि मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर ऐसा होगा, तो मैं जिंदगी भर उनका ख्याल रखूंगी। जहां भी जाएंगे, हम एक साथ हाथ में हाथ डालकर। मुझे कोई पछतावा नहीं होगा, यह संकल्प बहुत दृढ़ है।

थोंग की बातों से उनके सभी परिवार वाले प्रभावित हुए। आज तक वे बातें परिजनों की याद में ताजा हैं। थोंग फंग लै की चाची के अनुसार, उनकी मां ये बातें सुनकर बहुत प्रभावित हुईं, इसलिए उन्होंने शादी की आज्ञा दे दी। वास्तव में चिंग फंग व फंग लै के बीच यह बहुत सच्चा व पक्का प्रेम है। उनका जीवन बहुत सामंजस्यपूर्ण है। इस बात को लेकर हम बहुत संतुष्ठ हैं। साथ ही हम उनके खुशहाल जीवन से भी बहुत खुश हैं।

वर्ष 1982 में ल्यू और थोंग शादी के बंधन में बंध गए। शादी समारोह में जश्न धूमधाम तरीके से नहीं हुआ और ना ही प्रेम का मूल्यावान उपहार भी दिया गया, लेकिन इसके बावजुद यह सच्चा प्रेम 36 से अधिक सालों में भी नहीं बदला, अभी भी एकदम मजबूत और सच्चा है।

जब ल्यू चिंग फिंग युवा थे, तो वे पेइचिंग शोकांग लीमिडेट कंपनी के महत्वपूर्ण सूचना विभाग में काम करते थे। काम करने के दूसरे साल में उन्हें पेइचिंग मैटलर्जिकल ब्यूरो की तरफ से युवा श्रेष्ठ कर्मचारी का खिताब दिया गया। वर्ष 1993 में आंखों की रोशनी तेजी से जाने के कारण ल्यू को विवश होकर अपना पसंदीदा पद छोड़ना पड़ा। लेकिन उनके प्रति सबसे बड़ा झटका यह रहा कि वे नेत्रहीन हो गए। ल्यू को याद है कि उस दौरान उन्होंने अपने आपको 3 सालों तक नजरबंद किए रखा। वे घर से बाहर नहीं निकलना चाहते थे।

उस समय की भावना की चर्चा में ल्यू ने कहा, मैं बहुत दुखी हुआ था, जब मैंने सेवानिवृत का प्रमाण् पत्र प्राप्त किया, तो मैं तीन सालों तक घर से बाहर नहीं निकला। मुझ पर दबाव बहुत बड़ा था, क्योंकि कामकाज बहुत सुचारु रूप से चल रहा था और अचानक मेरी आंखों की रोशनी गायब-सी हो गई। यह मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। और सिर के बाल भी बहुत जल्द सफेद हो गए।

बाद में परिवार जनों व मित्रों ने उन्हें प्रोत्साहित किया, खास तौर से ल्यू की पत्नी ने निरंतर उनका साथ दिया और नि:स्वार्थ सेवा की। प्रेम की सभी शक्तियों से ल्यू ने फिर एक बार घर से बाहर कदम रखना शुरू किया, और समाज में फिर प्रवेश किया। हारमोनिका बजाना उनकी शानदार जिंदगी को खोलने की एक कुंजी जैसा है।

बचपन से ही ल्यू को हारमोनिका बजाने का बड़ा शौक है। आज तक भी वह ल्यू की सबसे पसंदीदा चीज है। हर दिन वे कम से कम दो घंटे हारमोनिका का अभ्यास करते हैं। एक हारमोनिका गीत बजाने के लिए स्वस्थ लोगों के प्रति शायद केवल एक या दो हफ्ते का अभ्यास चाहिए। लेकिन ल्यू के प्रति कम से कम एक या दो महीने चाहिए। इस की चर्चा में ल्यू ने कहा, सामान्य लोगों की अपेक्षा मुझे पांच से दस गुणा प्रयास करना पड़ता है। खास तौर पर एक नया गीत-संगीत बजाने के लिए मुझे कई सौ बार इसका अभ्यास करना पड़ेगा। सबसे पहले मैं इसे बार-बार सुनता हूं। जब मैं इस गीत के सभी धुनों को मन में याद कर लेता हूं, तब मैं हारमोनिका बजाना शुरू करता हूं।

इसके बाद ल्यू ने एक छोटे हारमोनिका टीम की स्थापना भी की। इस टीम में दो हारमोनिका कलाकार, चार नृत्य कलाकार और दो गायक शामिल थे। पेइचिंग के थ्येनथैन, पेइहाए व चिंगशान आदि प्रसिद्ध पार्कों में यह सक्रिय छोटी हारमोनिका टीम की छवि लोगों की नजर में दिखती थी। दस साल धीरे धीरे बित चुके हैं। इस हारमोनिका टीम का प्रभाव बड़ा हो गया है। ल्यू के फैंसों की संख्या भी कई सौ से अधिक हो गई।

हरेक सफल पुरुष के पीछे एक असाधारण महिला रहती है। आम जीवन में ल्यू चिंगफिंग का सब कुछ उनकी पत्नी थोंग फंग लै संभालती हैं। थोंग फंग लै ल्यू चिंगफिंग के नेत्र की तरह पूरी दुनिया ल्यू के सामने दिखाती हैं। बाहर जाने के बिना बुद्धिजीवी को विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त होता है। थोंग फंग लै का अपने पति को न्यूज पढ़ना उनके जीनव का अनिवार्य भाग बन चुका है। थोंग फंग लै ने आई-पैड के स्क्रीन पर स्लाइड करते हुए हमें बताया कि मैं आई-पैड ऑन करके उन्हें सुर्खियों के न्यूज एक-एक करके पढ़ती हूं, इनमें कुछ न्यूज है और कुछ चुटकुले हैं। मेरे पढ़ने के बाद वे इनमें से अपना दिलचस्प वाले चुनते हैं, जिन्हें मैं उन्हें पूरा का पूरा पढ़ती हूं। फिर हम अगले पेज की तरफ बढ़ते हैं।

आम दिनों में ल्यू चिंगफिंग को कपड़े चुनने की जि़म्मेदारी भी थोंग फंग लै के कंधे पर होती है। कभी-कभी महत्वपूर्ण अवसर में उपस्थित होने के लिए वे दोनों एक साथ गौर से कपड़े चुनते हैं। चाहे वे अपने घर के आसपास घूमें, या दूर-दराज स्थान की यात्रा करें, थोंग फंग लै हमेशा अपने पति को इस दुनिया को महसूस करवाने की कोशिश करती हैं।

इंटरव्यू के अंत में ल्यू चिंगफिंग ने संवाददाता को बताया कि वे अपनी पत्नि को धन्यवाद बोलना चाहते हैं। उनके अनुसार, अभी तक मेरी पत्नी मुझे विशेष देखभाल करती हैं और मुझे छोड़ने का एक क्षण में भी विचार नहीं रखतीं। मैं कैसे प्रकट करूंगा? सिर्फ इस शब्द से–धन्यवाद, बहुत धन्यवाद। हमारे विकलांगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या हमारे परिवार के लोग हमें सच्चा प्यार प्रदान करते हैं। अगर यह प्यार दिल से निकलता है, तो हम विकलांग लोग सदा के लिए सुखमय रहते हैं। मैं केवल यह कहना चाहूंगा कि वास्तव में सच्चा प्रेम आंखों से नहीं देखा जाता, बल्कि हृदय से महसूस किया जाता है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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