आपके जीने का ढंग बदल देंगे, महर्षि वेद व्यास के ये अमूल्य विचार
जयपुर । जैसा की आप जानते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि बिना गुरु के हमारी पूजा को भगवान स्विकार नहीं करते। आज गुरु पूर्णिमा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को महर्षि वेद व्यास के जन्म दिन के रुप में मनाया जाता है। महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों की व्याख्या की थी। आज हम आफके लिए इस आर्टिकल में आदिगुरुमहर्षि वेद व्यास के उपदेश और उनके विचार लेकर आए हैं। जो कि आपके जीवन को प्रभावित कर आपके जीने के ढंग को बदल देंगे। आईए जानें महर्षि वेद व्यास के विचार…
1. अमृत और मृत्यु दोनों इस शरीर में ही स्थित हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है।
2. दूसरों के लिए भी वही चाहो जो तुम अपने लिए चाहते हो।
3. जो वेद और शास्त्र के ग्रंथों को याद रखने में तत्पर है किंतु उनके यथार्थ तत्व को नहीं समझता, उसका वह याद रखना व्यर्थ है।
4. जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं, क्षमा करता है, वह अपनी और क्रोध करने वाले की महा संकट से रक्षा करता है। वह दोनों का रोग दूर करने वाला चिकित्सक है।
5 जहां कृष्ण हैं, वहां धर्म है और जहां धर्म है, वहां जय है।
6. जिसके मन में संशय भरा हुआ है, उसके लिए न यह लोक है, न परलोक है और न सुख ही है।
7. अत्यंत लोभी का धन तथा अधिक आसक्ति रखने वाले का काम- ये दोनों ही धर्म को हानि पहुंचाते हैं।
8. जिस मनुष्य की बुद्धि दुर्भावना से युक्त है तथा जिसने अपनी इंद्रियों को वश में नहीं रखा है, वह धर्म और अर्थ की बातों को सुनने की इच्छा होने पर भी उन्हें पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता।
9. क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा करने योग्य हो जाता है।
10. अभीष्ट फल की प्राप्ति हो या न हो, विद्वान पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता।
11. दुख को दूर करने की एक ही अमोघ औषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना।
12. जो केवल दया से प्रेरित होकर सेवा करते हैं, उन्हें नि:संशय सुख की प्राप्ति होती है।