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ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं सालभर के चार नवरात्र

25 जनवरी 2020 से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका हैं जो अब तीन फरवरी को पूर्ण होगा। बता दें कि सालभर में कुल चार नवरात्रि ऋतुओं के बदलाव पर आती हैं साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। कम ही लोगों को इसकी जानकारी होती हैं इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं।
ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं सालभर के चार नवरात्र

आपको बता दें कि 25 जनवरी 2020 से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका हैं जो अब तीन फरवर को पूर्ण होगा। बता दें कि सालभर में कुल चार नवरात्रि ऋतुओं के बदलाव पर आती हैं साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। कम ही लोगों को इसकी जानकारी होती हैं इसलिए इसे गुप्त नवरा​त्रि कहा जाता हैं इनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती हैं। Image result for गुप्त नवरात्रिवही पूरे वर्षभर में मनाए जाने वाले चार नवरात्रि पर्व ऋतुओं के बदलाव पर आते हैं इनमें अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता हैं शरद ऋतु के समय आने वाली नवरात्रि। इसके अलावा चैत्र महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि को वासंतिक नवरात्रि कहा जाता हैंImage result for गुप्त नवरात्रि माघ माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि शिशर ऋतु में आती हैं इसके अलावा आषाढ़ शुक्लपक्ष वाली नवरात्रि वर्षा ऋतु में मनाई जाती हैं। तो आज हम आपको गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Image result for गुप्त नवरात्रि

बता दें कि महाकाल संहिता और सभी शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रियों को विशेष बताया गया हैं इनमें विशेष तरह की इच्छा पूर्ति और सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान और पूजा पाठ किया जाता हैं इस बार माघ माह की गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी से तीन फरवरी तक रहेगी। अश्विन और चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि में जहां देवी भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं वही गुप्त नवरात्रि में देवी के दश महाविद्याओं की साधना होती हैं। Image result for गुप्त नवरात्रि

25 जनवरी 2020 से गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका हैं जो अब तीन फरवरी को पूर्ण होगा। बता दें कि सालभर में कुल चार नवरात्रि ऋतुओं के बदलाव पर आती हैं साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। कम ही लोगों को इसकी जानकारी होती हैं इसलिए इसे गुप्त नवरा​त्रि कहा जाता हैं। ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं सालभर के चार नवरात्र

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