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Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी

हिंदू धर्म में गाय को माता माना जाता हैं गाय बछड़ो की पूजा का पावन पर्व गोपाष्टमी इस साल 22 नवंबर दिन रविवार यानी की कल मनाया जाएगा। गोपाष्टमी पर्व गायों की रखा, संवर्धन और उनकी सेवा के संकल्प किया जाता हैं इस पर्व सम्पूर्ण सृष्टि को पोषण प्रदान करने वाली गाय माता के प्रति
Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी

हिंदू धर्म में गाय को माता माना जाता हैं गाय बछड़ो की पूजा का पावन पर्व गोपाष्टमी इस साल 22 नवंबर दिन रविवार यानी की कल मनाया जाएगा। गोपाष्टमी पर्व गायों की रखा, संवर्धन और उनकी सेवा के संकल्प किया जाता हैं इस पर्व सम्पूर्ण सृष्टि को पोषण प्रदान करने वाली गाय माता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गाय बछड़ों की पूजा की जाती हैंGopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी भगवान कृष्ण ने जिस दिन से गौचारण शुरू किया वह शुभ दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी का दिन था। इसी दिन से गोपाष्टमी की शुरूवात मानी जाती हैं तो आज हम आपको इस त्योहार से जुड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी

श्रीमद भागवत पुराण के मुताबिक कृष्ण भगवान जब पांच सल के हो गए और छठे साल में प्रवेश किया तो एक दिन यशोदा माता से बाल कृष्ण ने कहा। मइया अब मैं बड़ा हो गया हूं। अब मुझे गोपाल बनने की इच्छा है मैं गोपाल बनूं। मैं गायों की सेवा करूं। मैं गायों की सेवा करने के लिए ही यहां आया हूं। Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरीयशोदाजी समझाती हैं कि बेटा शुभ मुहूर्त में मैं तुम्हें गोपाल बनाउंगी। बातें हो रही रही थी कि उसी वक्त शाण्डिल्य ऋषि वहां आए और श्रीकृष्ण की जन्मपत्री देखकर कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गौचारण का मुहूर्त निकाला।Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी कृष्ण प्रसन्न होकर अपनी माता के ह्रदय से लग गए। झटपट मां यशोदा जी ने अपने कान्हा का श्रृंगार कर दिया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाने लगी। तो बाल कृष्ण ने मना कर दिया और कहने लगे मैया अगर मेरी गायें जूती नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं और वे नंगे पैर ही अपने ग्वाल बाल मित्रों के साथ गायों को चराने वृन्दावन जाने लगे। Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरीअपने चरणों से वृन्दावन की रज को अत्यंत पावन करते हुए आगे आगे गौएं और उनके पीछे पीछे बांसुरी बजाते हुए श्याम सुंदर तदंतर बलराम, ग्वालबाल तालवन में गौचारण लीला करने लगे।Gopashtami festival: गोपाष्टमी कल, गाय बछड़ों की पूजा से इच्छाएं होती है पूरी

श्रीकृष्ण का ​अतिप्रिय गोविन्द नाम भी गायों की रक्षा करने के कारण ही पड़ा था। क्योंकि भगवान कृष्ण ने गायों और ग्वालों की रक्षा के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर रखा था।

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