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जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

दिवाली के बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती हैं। इस बार यह पर्व 15 नवंबर को हैं। मगर कुछ स्थानों पर तिथियों में अंतर होने के कारण गोपाष्टमी 16 नवंबर के दिन भी मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी तिथि पर माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण को
जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

दिवाली के बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती हैं। इस बार यह पर्व 15 नवंबर को हैं। मगर कुछ स्थानों पर तिथियों में अंतर होने के कारण गोपाष्टमी 16 नवंबर के दिन भी मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी तिथि पर माता यशोदा ने भगवान श्री ​कृष्ण को पहली बार गायों को चराने के लिए जंगल में भेजा था।जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

माता यशोदा भगवान श्री कृष्ण को गायों को चराने के लिए जगह नहीं भेजना चा​हती थी। मगर भगवान कृष्ण जिद करने लगे। तभी से कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाने लगी हैं। आपको बता दें कि इस दिन गायों का विशेष रूप से पूजन किया जाता हैं। वही गायों के पूजन से सभी देवी देवतागण प्रसन्न होते हैं।जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

जानिए कैसे मनाएं गोपाष्टमी का पर्व—

गोपाष्टमी पर शुभ मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर श्रृंगार किया जाता हैं।

वही गाय को सजाने के बाद उसकी पूजा और परिक्रमा अवश्य करें।जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

परिक्रमा के बाद गाय और उसके बछड़े को घर से कुछ ही दूर लें जा कर उसके साथ अपना समय बिताएं।

गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा,हरामटर और गुड़ अवश्य खिलाएं। जानिए क्या है गोपाष्टमी पर्व का महत्व और कैसे की जाती है गौ पूजा

ऐसी माना जाता हैं। कि जो व्यक्ति गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलता हैं। उसको बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

वही शास्त्रों के मुताबिक गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है, और उन्हे माता का दर्जा दिया गया हैं। इसलिए गौ पूजन से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं, मनोकामना पूरी होती हैं।

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