गोगादेव जन्म कथा: कैसे हुआ था गोगा देव का जन्म, जानिए पौराणिक कथा

आपको बता दें कि आज यानी 13 अगस्त को गोगा देव नवमी मनाई जा रही हैं गोगा देव राजस्थान के लोग देवता माने जाते हैं इन्हें जाहरवीर गोग राणा के नाम से भी जाना जाता हैं इनके जन्म को लेकर कथा प्रचलित हैं जिसका वर्णन आज हम आपने इस लेख में करने जा रहे हैं राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था इसे गोगा नवमी के नाम से जाना जाता हैं तो आइए जानते हैं गोगा देव की जन्म कथा।
मान्यताओं के मुताबिक गोगा देव की मां बाछल देवी को संतान नहीं हुई थी। वे निसंतान थी। संतान प्राप्त करने के लिए बाछल देवी ने हर तरह के यत्न कर लिए थे। मगर उन्हें किसी भी तरह से संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई। गुरु गोरखनाथ गोगामेडी के टीले पर तपस्या में लीन थे। तभी बाछल देवी उनकी शरण में पहुंच गईं। उन्होंने उन्हें अपनी सभी परेशानी बताई। उसी गुरु गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। गोरखनाथ ने बाछल देवी को प्रसाद के तौर पर एक गुगल नामक दिया। यह प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई। इसके बाद गोगा देव का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से ही इनका नाम गोगाजी पड़ गया।
आपको बता दें कि गोगा देव गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य माने जाते हैं इनका जन्म चुरु जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। यहां पर करी सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग हाजरी देने आते हैं। मुस्लिम समाज के लोग इन्हें जाहर पीर के नाम से जानते हैं।