ग्लोबल वार्मिंग से घट रही है महासागरों में ऑक्सीजन! जानिए क्या है वजह
पिघलती हुई बर्फ और ग्लेशियरों का कम होना, ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते हुए खतरे को दिखाने के लिए काफी है। ग्लोबल वार्मिंग इन दिनों पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। हालांकि, एक नए अध्ययन से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग से ध्रुवीय क्षेत्र की जलवायु तो प्रभावित होती ही है बल्कि साथ में महासागर में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती जा रही है।
जर्नल नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया के सागर में औसत ऑक्सीजन की मात्रा पिछले 50 वर्षों में दो प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। जो कि हर साल कुछ ना कुछ बढ़ ही रही है। जीओएमएआर हेल्महोल्त्ज़ सेंटर फॉर ओसियन रिसर्च और स्टडीज के डॉ. सनके स्मिटेटो के अनुसार, “हम ऑक्सीजन वितरण और पूरे समुद्र में होती हुई उसकी कमी के लिए होते बदलावों को देखने में पूरी तरह से सक्षम हैं”। भविष्य के महासागर के पूर्वानुमानों को लगाने के लिए ये संख्या एक अहम रोल अदा करेगी।
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अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने दुनिया भर से समुद्र के पानी में नमक की मात्रा, तापमान, गहराई और ऑक्सीजन पर उपलब्ध सभी ऐतिहासिक डाटा का विश्लेषण किया। वर्तमान की स्थिति के अलावा, इन आंकड़ों का प्रयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पिछले 50 वर्षों में कितनी मात्रा में ऑक्सीजन की कमी हुई ये भी देखा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि पूरे महासागर में ऑक्सीजन की मात्रा अध्ययन अवधि के दौरान ही काफी घट गई है, जिसमें उत्तरी प्रशांत महासागर और दक्षिणी अटलांटिक में ऑक्सीजन का नुकसान सबसे अधिक उल्लेखनीय है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि महासागरों में मृत क्षेत्रों की संख्या, या कोई ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रों की संख्या 1960 से चौगुनी हो गई है।
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ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में कमी होने के दो संभावित तरीके हैं। बढ़ते वायुमंडलीय तापमान से सागर की सतह गर्म होती जा रही है। और ठंडे पानी के विपरीत, गर्म पानी वातावरण से कम ऑक्सीजन को अवशोषित करता है। इसके अतिरिक्त, समुद्र के तापमान में वृद्धि भी सागर संचलन को बदल सकती है। चूंकि गर्म पानी समुद्र के स्तरीकरण को स्थिर करता है, इसलिए यह सतह को समुद्र के गहरे हिस्सों से जोड़कर परिसंचरण को कम करता है। सागर में ऑक्सीजन का नुकसान से भविष्य में हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

