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Today Special:आज ही के दिन हुआ था ठुमरी की रानी गिरिजा देवी का जन्म

इतिहास सैदव उन लोगो के प्रति दयावान रहता है जो खुद के लक्ष्य के प्रति कठोर रहते है। ‘ठुमरी की रानी’ के नाम से मशहूर शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का जन्म आज ही के दिन साल 1929 में वाराणसी के करीब एक गांव में हुआ था। ये वो दौर था,जब तरक्की पसंद होना अच्छी बात

इतिहास सैदव उन लोगो के प्रति दयावान रहता है जो खुद के लक्ष्य के प्रति कठोर रहते है। ‘ठुमरी की रानी’ के नाम से मशहूर शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का जन्म आज ही के दिन साल 1929 में वाराणसी के करीब एक गांव में हुआ था। ये वो दौर था,जब तरक्की पसंद होना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी। ये वो दौर था जब महिलाओ को गायन व मंच पर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी। इसे दोयम दर्जे का काम माना जाता था। और यही कारण था की जब देश की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बानी तो उसमे महिलाओ का किरदार भी पुरुषो ने निभाया।Girija Devi - Wikipedia

बहरहाल गिरिजा देवी की मां और दादी को कभी भी गिरिजा देवी का संगीत के प्रति ये रपेम कभी रास न आया। हालाँकि पिता रामदेव राय जो की खुद संगीत से प्रेम करते थे, ने कभी समाज की परवाह न की और एक पिता होने का फर्ज निभाते हुए हमेशा अपनी बेटी का साथ दिया।Girija Devi: India's Unchallenged Queen Of Thumri | #IndianWomenInHistory

अप्पा जी के नाम से जाने जानी वाली गिरिजा देवी ने मात्रा पांच वर्ष की आयु से ही माँ सरस्वती के संगीत की शिक्षा को प्राप्त करना आरम्भ कर दिया। गिरिजा देवी ने ठुमरी, टप्पा, ख्याल सहित बनारस के आस-पास के क्षेत्रीय गायन जैसे चैती, होरी, बारामासा आदि को सीखा और बाद में उसने अपने हुनर के रंग भरे।Girija Devi passes away: Remembering the life and legacy of 'the queen ...

बहरहाल,उस दौर में जल्दी शादी करने का ही रिवाज था,सो गिरिजा देवी की शादी भी महज 15 वर्ष की ही उम्र में साल 1944 में उनकी शादी बिजनेसमैन मधुसूदन जैन से हुई। मधुसूदन गिरिजा से काफी बड़े थे और उनकी पूर्व में भी शादी हो चुकी थी मगर मधुसूदन का ये वादा था की विवाह पश्चात् भी वे गिरिजा को गाने से रोकेंगे नहीं। और इस वाडे पर गिरिजा के पिता ने उनकी शादी मधुसूदन से करवाई।Girija Devi — Wikipédia

शादी के तकरीबन पांच साल बाद, साल 1949 में गिरिजा देवी ने रेडियो पर अपनी आवाज का जादू बिखेरना शुरू किया। साल 1951 में गिरिजा, बिहार में आरा कॉन्फ्रेंस में मशहूर गायक पंडित ओंकारनाथ को सुनने गई थी। पर यहाँ पर एक कमाल हो गया, और वो कमला ये हुआ की इससे पहले कार्यक्रम शुरू होता, ये खबर सुनने में आई की पंडित ओंकारनाथ की गाड़ी खराब हो गयी है और वे तय समय पर पहुंच पाएंगे। ऐसे में फॉर मौका मिला गिरिजा देवी को जिन्होंने उनके स्थान पर गाना गया। गिरिजा देवी वास्तव में बहुत बड़ी हस्ती है,उनका जैसा जोश,जूनून और जज्बा हर किसी में हो तो निश्चित तौर पर हर कोई अपने ध्येय को पा सकता है।

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