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छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती का महापर्व मनाया जाता हैं। एक दूसरे को मारने का प्रण ले चुके कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने से पहले योगीराज श्रीकृष्ण ने 18 अक्षौहिणी सेना के बीच मोह में फंसे और कर्म से विमुख अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। छंद रूप में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश।
छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

गीता जयंती को बहुत ही खास महत्व दिया जाता हैं वही हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती का महापर्व मनाया जाता हैं। वही इस बार ये पर्व आठ दिसंबर दिन रविवार को हैं। छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेशएक दूसरे को मारने का प्रण ले चुके कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने से पहले योगीराज श्रीकृष्ण ने 18 अक्षौहिणी सेना के बीच मोह में फंसे और कर्म से विमुख अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को छंद रूप में यानी गाकर उपदेश दिया, इसलिए इसे गीता कहा जाता हैं उपदेश देने वाले स्वयं भगवान कृष्ण थे, इस ग्रंथ का नाम भगवद्गीता पड़ा। छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेशगीता माहात्म्य पर भगवावन ने पद्म पुराण में बताया हैं कि भवबंधन से मुक्ति के लिए गीता अकेले ही पर्याप्त ग्रंथ हैं। गीता का उद्देश्य ईश्वर का ज्ञान होना माना गया हैं। भगवद्गीता में कई विद्याओं का वर्णन हैं, जिनमें चार प्रमुख हैं अभय विद्या, साम्य विद्या, ईश्वर विद्या और ब्रह्म विद्या। ऐसा माना गया हैं कि अभय विद्या मृत्यु के भय को दूर करती हैं छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेशसाम्य विद्या राग द्वेष से छुटकारा दिलाकर जीवन में समत्व भाव पैदा करती हैं ईश्वर विद्या के प्रभाव से साधक अहंकार और गर्व के विकार से बचता हैं। ब्रह्म विद्या से अंतरात्मा में ब्रह्मा भाव को जागता हैं।छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश गीता के उपदेश व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि और जीवन को सरलता से जीने का तरीका बताते हैं। यह व्यक्ति को कार्य और जीवन में सफल भी बना सकते हैं। गीता को हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता हैं।छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती का महापर्व मनाया जाता हैं। एक दूसरे को मारने का प्रण ले चुके कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने से पहले योगीराज श्रीकृष्ण ने 18 अक्षौहिणी सेना के बीच मोह में फंसे और कर्म से विमुख अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। छंद रूप में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश। छंद रूप में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

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