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क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रता

गौतम बुद्ध भारत देश के बहुत महान हैं ये भगवान भी माने जाता हैं वही एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। वे एकदम शांत थे, उन्हें इस तरह देखकर उनके शिष्य बहुत ही चिंतित हुए। शिष्यों ने सोचा कि शायद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं। तभी कुछ दूर खड़ा एक शिष्य जोर से चिल्लाया कि आज मुझे सभा में बैठने की मनुमति क्यों नहीं दी गई हैं बुद्ध आंखें बद करके ध्यान करने लगे। बुद्ध को ध्यान में बैठा देखकर वह शिष्य फिर से चिल्लाया कि मुझे प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं दी हैं
क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रता

आपको बता दें, कि गौतम बुद्ध भारत देश के बहुत महान हैं ये भगवान भी माने जाता हैं वही एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। वे एकदम शांत थे, उन्हें इस तरह देखकर उनके शिष्य बहुत ही चिंतित हुए। शिष्यों ने सोचा कि शायद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं। क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रतातभी कुछ दूर खड़ा एक शिष्य जोर से चिल्लाया कि आज मुझे सभा में बैठने की मनुमति क्यों नहीं दी गई हैं बुद्ध आंखें बद करके ध्यान करने लगे। बुद्ध को ध्यान में बैठा देखकर वह शिष्य फिर से चिल्लाया कि मुझे प्रवेश की अनु​मति क्यों नहीं दी हैं तभी बुद्ध के सामने बैठे एक शिष्य ने बुद्ध से कहा कि कृपा कर उसे भी सभा में आने दीजिए।क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रता

भगवान बुद्ध ने गुस्सा न करने की दी सीख—
बुद्ध जी ने अपनी आंखें खोली और बोले उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती हैं ये सुनकर सभी शिष्यों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। बुद्ध ने कहा कि आज वह क्रोधित होकर आया हैं क्रोध से जीवन में एकाग्रता भंग हो जाती हैं, क्रोधी मनुष्य मानसिक हिंसा करता हैं इसलिए उसे कुछ वक्त एकांत में ही खड़े रहना चाहिए। क्रोधित शिष्य भी बुद्ध की बातें सुन रहा था। अब उसे खुद किए व्यवहार पर पछतावा होने लगा। वह समझ चुका था कि ​अहिंसा ही हमारा धर्म हैं उसने बुद्ध के सामने संकल्प किया कि वह अब कभी भी किसी पर क्रोध नहीं करेंगा।क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रता

गौतम बुद्ध भारत देश के बहुत महान हैं ये भगवान भी माने जाता हैं वही एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। वे एकदम शांत थे, उन्हें इस तरह देखकर उनके शिष्य बहुत ही चिंतित हुए। शिष्यों ने सोचा कि शायद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हैं। तभी कुछ दूर खड़ा एक शिष्य जोर से चिल्लाया कि आज मुझे सभा में बैठने की मनुमति क्यों नहीं दी गई हैं बुद्ध आंखें बद करके ध्यान करने लगे। बुद्ध को ध्यान में बैठा देखकर वह शिष्य फिर से चिल्लाया कि मुझे प्रवेश की अनु​मति क्यों नहीं दी हैं क्रोध से भंग हो जाती हैं मनुष्य के जीवन की एकाग्रता

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