Samachar Nama
×

जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

गंगा माता का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु के पैरों से हुआ हैं। भगवान शिव की जटाओं में गंगा जी का निवास होता हैं इसलिए भगवान शिव का नाम गंगाधर भी हैं। माता गंगा को स्वयं भगवान विष्णु ने धरती पर भेजा मगर वह जिस वेग से धरती पर अवतरित हुई उससे उनके मार्ग में आने वाली हर वस्तु के जलप्लावित होने का खतरा था। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया।
जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

आपको बता दें, कि देवी मां गंगा को मनुष्य के जीवन और मृत्यु दोनों से जुड़ा हुआ माना जाता हैं गंगा माता के बिना अनेक संस्कार अधूरे होते हैं। वही कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गंगाजल के बिना पूरा नहीं माना जाता हैं गंगा स्नान से सभी पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती हैं।जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक गंगा माता का नाम उच्चारण मात्र से ही पीढ़ियां तक पवित्र हो जाती हैं। वही गंगा स्नान से यश सम्मान की प्राप्ति व्यक्ति को होती हैं। गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातको को विशेष लाभ की प्राप्ति हो जाती हैं गंगा स्नान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता हैं।जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

वही गंगा माता का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु के पैरों से हुआ हैं। भगवान शिव की जटाओं में गंगा जी का निवास होता हैं इसलिए भगवान शिव का नाम गंगाधर भी हैं। माता गंगा को स्वयं भगवान विष्णु ने धरती पर भेजा मगर वह जिस वेग से धरती पर अवतरित हुई उससे उनके मार्ग में आने वाली हर वस्तु के जलप्लावित होने का खतरा था। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर उनके वेग को नियंत्रित कर दिया। जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूराहिंदू धर्म की मान्यता हैं कि गंगा के तट पर सभी काल शुभ हैं। गंगा तट पर दान पुण्य का भी विशेष महत्व होता हैं हिंदु पुराणों में गंगा माता को पुण्य सलिला, पापनाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी भी कहा जाता हैं कुछ लोग गंगा किनारे ही प्राण त्यागने या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं समस्त संस्कारों में गंगाजल का होना बहुत ही आवश्यक माना जाता हैं वही पंचामृत में भी गंगाजल को अमृत माना जाता हैं।जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

वही अनेक पर्व और उत्सवों का गंगा मां से सीधा संबंध होता हैं। गंगा स्नान से व्याधियों से मुक्ति प्राप्त होती हैं हर सोमवार शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती हैं। जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

गंगा माता का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु के पैरों से हुआ हैं। भगवान शिव की जटाओं में गंगा जी का निवास होता हैं इसलिए भगवान शिव का नाम गंगाधर भी हैं। माता गंगा को स्वयं भगवान विष्णु ने धरती पर भेजा मगर वह जिस वेग से धरती पर अवतरित हुई उससे उनके मार्ग में आने वाली हर वस्तु के जलप्लावित होने का खतरा था। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया। जीवन से मृत्यु तक हर संस्कार मोक्षदायिनी गंगा के बिना है अधूरा

Share this story