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कल से शारदीय नवरात्र शुरू, मां शैलपुत्री की इस विधि से करें पूजा…

इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल प्रतिपदा,गुरूवार के दिन तारीख 21.09.17 से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। शारदीय नवरात्र के इस प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री चंद्रमा ग्रह की सूचक हैं ऐसे मां शैलपुत्री व्यक्ति के मन पर सीधे प्रभाव डालती हैं। वास्तुपुरूष सिद्धांत के
कल से शारदीय नवरात्र शुरू, मां शैलपुत्री की इस विधि से करें पूजा…

इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल प्रतिपदा,गुरूवार के दिन तारीख 21.09.17 से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। शारदीय नवरात्र के इस प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री चंद्रमा ग्रह की सूचक हैं ऐसे मां शैलपुत्री व्यक्ति के मन पर सीधे प्रभाव डालती हैं।

वास्तुपुरूष सिद्धांत के मुताबिक मां शैलपुत्री कुंडली के चौथे भाव से हैं ऐसे में ये देवी जिस इंसान पर प्रसन्न हो जाती हैं उसे सुख—समृद्धि,जमीन—जायदाद, निवास और वाहन सुख भी प्रदान करती हैं। मां शैलपुत्री की पूजा करने से जहां भक्तों के मनोविकार दूर होते हैं वहीं अपने भक्तों को गाड़ी और बंगले का सुख भी प्रदान करती हैं।
अगर भक्त शारदीय नवरात्र के दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करते हैं तो निश्चितरूप से उन्हें मां सांसारिक सुखों से मालामाल कर देती हैं।

पूजा विधि—
मां शैलपुत्री की पूजा करते समय सबसे पहले घी का दीपक जलाएं, इसके बाद धूप—बत्ती करें तथा पीले चंदन से मां का तिलक करें। सफेद फूलों के साथ मावे का भोग ​अर्पित करें। तथा 108 बार वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् का जाप करें। मावा का प्रसाद किसी कन्या को जरूर भेंट करें।

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 09 मिनट तक।
संध्या बेला: शाम पांच बजकर 26 मिनट से शाम सात बजकर 04 मिनट तक।

स्त्रोत पाठ—
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

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