फिश पेडीक्योर नहीं है सेफ होता है फैलता है इससे संक्रमण और गंभीर बीमार
जयपुर । फिश स्पा एवं पेडिक्योर के तहत गर्रा रूफा प्रजाति की मछलियों से हाथों और पैरों की मृत त्वचा की सफाई कराई जाती है। ये मछलियां टर्की से मंगाई जाती हैं। इन मछलियों के दांत नहीं होते, इसलिए स्पा कराने पर दर्द नहीं होता। अब कई पार्लरों एवं ब्यूटी सेंटरों ने घर-घर जाकर भी फिश स्पा देने की सेवा शुरू कर दी है।
देश के महानगरों में फिश स्पा कराने वाले सेंटरों की भरमार हो गई है। जहां फिश स्पा एवं पेडिक्योंर करने की फीस ।50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक होती है। इन सेंटरों की ओर से दावा किया जाता है फिश-स्पा के बाद त्वचा चिकनी हो जाती है तथा इससे त्वचा संबंधी कई बीमारियों में भी लाभ पहुंचता है। हालांकि इन दावों को अभी तक साबित नहीं किया जा सका है। दूसरी तरफ नए अध्ययनों से पता चला है कि यह कई तरह की बीमारियों को न्यौता देता हैं।
फिश पेडिक्योर की प्रक्रिया में पैरों को मछलियों से भरे एक टब में डाला जाता है, टब में मौजूद छोटी-छोटी मछलियां पैरों से मृत त्वचा को अलग कर उसे खा लेती है और आपके पैरों को साफ-सुथरा बना देती है। इसे करवाने से पैरों की त्वचा मुलायम बनती है और पैरों की थकान में आराम मिलता है।
कई तरह के शोध और अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है की फिश पेडीक्योर जानलेवा बीमारियों को न्यौता देने का तरीका है । इसके कारण एचआईवी , सोयरोसिस , स्किन का संक्रामण , एग्जीमा जैसी कई गंभीर बीमारियाँ होने का खतरा रहता है । इतना ही नही इस पेडीक्योर में काम में ली जाने वाली मछलियों के कारण कई बार गंभीर रूप से हादसे भी हो जाते हैं ।