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हैरान रह जाएंगे जानकर, वाल्मीकि से भी पहले इस रामभक्त ने लिखी थी रामायण, लेकिन समुद्र में बहा दी!

संसार में भगवान श्रीराम के अनेक भक्त हुए हैं। उनमें से वाल्मीकि और तुलसीदास का नाम अत्यंत प्रसिद्ध है। इन्हें भगवान राम की गाथा लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्रीराम के भक्तों की चर्चा हनुमानजी के बिना अधूरी है। चूंकि हनुमानजी भी बहुत बड़े रामभक्त हैं। फिर उन्होंने भगवान पर किसी ग्रंथ की रचना क्यों
हैरान रह जाएंगे जानकर, वाल्मीकि से भी पहले इस रामभक्त ने लिखी थी रामायण, लेकिन समुद्र में बहा दी!

संसार में भगवान श्रीराम के अनेक भक्त हुए हैं। उनमें से वाल्मीकि और तुलसीदास का नाम अत्यंत प्रसिद्ध है। इन्हें भगवान राम की गाथा लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्रीराम के भक्तों की चर्चा हनुमानजी के बिना अधूरी है। चूंकि हनुमानजी भी बहुत बड़े रामभक्त हैं। फिर उन्होंने भगवान पर किसी ग्रंथ की रचना क्यों नहीं की?

एक प्राचीन कथा के अनुसार विश्व में सबसे पहली रामायण हनुमानजी ने ही लिखी थी, परंतु एक विशेष घटना के बाद उन्होंने समुद्र में बहा दी थी। वह रामकथा हनुमानजी ने चट्टानों पर अपने नाखूनों से लिखी थी। उस रचना का नाम था— हनुमद रामायण।

हनुमानजी चट्टानों पर ग्रंथ संपूर्ण कर चुके थे। उधर वाल्मीकि ने भी अपना ग्रंथ पूरा कर लिया था। एक दिन वे यह ग्रंथ भगवान शिव को अर्पित करने कैलास पर्वत गए। वहां उनकी भेंट हनुमानजी से हुई। हनुमानजी की रचना देख वाल्मीकि आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने देखा कि हनुमानजी ने भगवान राम के यश का वर्णन बहुत उत्तम तरीके से किया है। उनकी रचना वाल्मीकि रामायण से भी बहुत उत्कृष्ट थी।

तब वाल्मीकि ने हनुमानजी की काव्य रचना की प्रशंसा की तथा बोले— इस रचना के सामने मेरा लेखन कुछ भी नहीं। हनुमानजी ने विचार किया कि महाकवि वाल्मीकि भी राम के अनन्य भक्त हैं। इसलिए उनकी रचना संसार में प्रसिद्ध होनी चाहिए।

तत्पश्चात हनुमानजी ने सभी चट्टानें समुद्र में बहा दीं। भगवान राम पर लिखी गईं वे रचनाएं समुद्र में समा गईं। हनुमानजी के इस त्याग से वाल्मीकि बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने वचन दिया कि वे कलियुग में रामकथा सुनाने के लिए एक बार फिर जन्म लेंगे। माना जाता है कि तुलसीदास के रूप में वाल्मीकि ने ही दूसरा जन्म लिया था।

 

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