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agricultural law के विरोध में 5 नवंबर को देशभर हाईवे जाम करेंगे किसान संगठन

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि से संबंधित तीन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन करने फैसला लिया है। इस सिलसिले में दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहब में मंगलवार को हुई एक बैठक में आगामी पांच नवंबर को देशभर में हाईवे जाम करने रखने का फैसला लिया गया
agricultural law के विरोध में 5 नवंबर को देशभर हाईवे जाम करेंगे किसान संगठन

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि से संबंधित तीन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन करने फैसला लिया है। इस सिलसिले में दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहब में मंगलवार को हुई एक बैठक में आगामी पांच नवंबर को देशभर में हाईवे जाम करने रखने का फैसला लिया गया है। बैठक में शामिल हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने आईएएनएस को बताया कि देश के विभिन्न प्रदेशों के सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की यहां एक बैठक हुई, जिसमें पांच नवंबर को दिन के 12 बजे से शाम चार बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम रखने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद किसान 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा।

भाकियू नेता ने कहा, “पूरे देश में काले कानूनों के विरुद्ध साझा आंदोलन लड़ने का फैसला लिया गया है जिसमें पांच नवंबर को 12 बजे से चार बजे तक पूरे देश में हाईवे जाम किए जाएंगे और 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा और इन आंदोलनों को मजबूती से लड़ने के लिए पांच सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई है।”

इस कमेटी में पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल, महाराष्ट्र से राजू शेट्टी, उत्तर प्रदेश से सरदार वीएम सिंह , योगेंद्र यादव और हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी शामिल है।

उन्होंने कहा कि बैठक में यह भी फैसला लिया गया है कि देश के जो अन्य संगठन जो अभी तक आंदोलन में शामिल नहीं हो सके हैं या अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं, उन सभी को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाए, उनसे समन्वय बढ़ाने का काम भी यह कमेटी करेगी।

संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित हुए कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 अब कानून बन चुके हैं।

सरकार का कहना है कि नये कानून से कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आएगा, लेकिन किसान संगठन बताते हैं कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं बल्कि कॉरपोरेट को होगा। गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान संगठनों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाया जाए।

पंजाब से सरदार बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों को आशंका है कि उनको बिजली बिल में जो अनुदान मिल रहा है वह भी सरकार आने वाले दिनों में समाप्त कर सकती है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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