भगवान सूर्यदेव हैं ब्रह्मांड के प्रथम कर्मयोगी
आपको बता दें कि सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता के रूप में जाने जाते हैं इनकी पूजा आराधना से सभी दुख परेशानियां दूर होती हैं वही समाज में मान सम्मान की भी प्राप्ति हो जाती हैं सूर्य साधना मनुष्य के जीवन में छाए अंधेरे को समाप्त करके उसे नई शक्ति और नवीन आशा से भर देती हैं। इस सत्य का ज्ञान गायत्री का प्रकाश हैं, जो मानव के जीवन को आलोकित करता हैं। इस सत्य की पुनरावृत्ति करने के लिए ही गायत्री मंत्र जप के द्वारा सूर्य देवता को जल देने की परंपरा प्रचलित हैं। बता दें कि भगवान सूर्य देव का प्रचंड प्रकाश, उसका तेज, कर्म पथ पर उसकी निरंतरता का प्रतीक माना जाता हैं सूर्य थकता नहीं हैं, क्योंकि इस संसार के प्रति सूर्य का उत्तरदायित्व हैं प्रतीक रूप में सूर्य देवता को जल अर्पित कर उसे व्यक्ति आभार प्रकट करता हैं। तो आज हम आपको सूर्य देवता से जुड़ी कुछ खास और महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। सूर्य के उगने के साथ ही दिन का भी आरंभ हो जाता हैं और उसके अस्त होते ही दिन भर की गतिविधियों पर विराम लग जाता हैं यह नियम जब से यह जगत हैं उस वक्त से नियमित रूप से गतिशील हैं, सूर्य इस ब्रह्मांड के प्रथम कर्मयोगी भी माने जाते हैं सुबह उठकर सूर्य देवता के दर्शन करना या फिर स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करना हर मनुष्य की जीवनशैली का विशेष अंग हैं। योग और सांसारिक गतिविधियां दोनों के बीच समन्वय सूर्य बिठाते हैं। जिसका प्रमाण बजरंगबली द्वारा प्रारम्भ किया गया सूर्य नमस्कार हैं। हनुमान जी का अपने गुरु सूर्य के प्रति कृतज्ञता का ज्ञापन हैं जिसकी तपिश की परवाह किए बिना हनुमान उनके आगे उड़ते हुए वेदों का ज्ञान प्राप्त करते हैं।