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मध्य प्रदेश में जमीन के गर्भ में पानी भरने की कवायद

देश के बड़े हिस्से में जलसंकट बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है और इससे निदान के लिए तरह-तरह के रास्ते खोजे जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में तो धरती के पेट में ही पानी भरने की मुहिम तेज की गई है। रतलाम जिले का जावरा और पिपलोदा देश के उन इलाकों
मध्य प्रदेश में जमीन के गर्भ में पानी भरने की कवायद

देश के बड़े हिस्से में जलसंकट बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है और इससे निदान के लिए तरह-तरह के रास्ते खोजे जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में तो धरती के पेट में ही पानी भरने की मुहिम तेज की गई है।

रतलाम जिले का जावरा और पिपलोदा देश के उन इलाकों में शुमार करता है, जहां भूजल का सबसे ज्यादा दोहन हुआ है। यही कारण है कि यहां का जलस्तर 800 फीट से ज्यादा नीचे पहुंच गया है और लोगों को हर साल पानी के संकट के दौर से गुजरना पड़ता है। इस विषम परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए जलशक्ति मिशन की योजना को आधार बनाया गया है।

बताया गया है कि जलशक्ति मिशन की योजना के तहत इस इलाके में वर्टिकल वाटर रिचार्ज तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इसके जरिए पाइपों की मदद से पानी को धरती के पेट में ऐसी जगह उतारा जाएगा, जहां पर धरती पानी से लगभग खाली हो चुकी है।

रतलाम के अनुविभागीय अधिकारी राहुल धोटे बताते हैं कि इस तकनीक के जरिए बारिश के पानी को बचाया जा सकेगा, साथ ही बाढ़ पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी।

एसडीएम राहुल धोटे के मुताबिक, वर्टिकल रिचार्ज प्वाइंट बनाए जाएंगे। इस तकनीक का उपयोग उन स्थानों पर ज्यादा किया जाएगा, जहां तालाब है या पानी जमा होता है या ज्यादा समय तक पानी जमा होता है, वहां एक्यूफर बनाए जाएंगे, जिससे पानी वहां जमा होगा और उसे नीचे उतारा जाएगा। ऐसा करने से नीचे के जो स्टोरेज सूख गए थे, वे पानी से भरना शुरू हो जाएंगे, इससे गांव का जलस्तर भी ऊपर आएगा।

किसान ओम प्रकाश का कहना है कि पानी बड़ी समस्या है, क्योंकि जलस्रोत सूख जाते हैं। इस तकनीक को अपनाए जाने से उम्मीद है कि जलस्रोत रीचार्ज होंगे और पानी की समस्या से काफी हद तक छुटकारा भी मिलेगा। किसानों को जहां खेती के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगेगा, दो फसल तक आसानी से ले सकेंगे, वहीं पीने के पानी का संकट भी खत्म होगा।

जलशक्ति मिशन की मुहिम से रेगिस्तान या यूं कहें कि सूखा और जलसंकट से जूझने वाले इलाकों के लिए नई राह दिखाने का काम किया है, अगर ये प्रयास सफल हुए तो वहां भी हरियाली नजर आएगी, जहां लोगों को पीने के पानी के लिए भी जूझना पड़ रहा है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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