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हर कण का प्रतिकण होता है क्या ब्रह्मांड का भी कोई प्रति ब्रह्मांड हो सकता है

जयपुर। वैज्ञानिकों ने सैद्धांतिक रूप से तथा प्रायोगिक रूप से यह प्रमाणित कर दिया है कि ब्रह्मांड में प्रति पदार्थ का अस्तित्व है लेकिन अब यह प्रश्न उठता है कि क्या प्रति-ब्रह्माण्ड का अस्तित्व भी संभव हो सकता है? दुनिया में अगर देखा जाये तो हर सिक्के के दो पहलू होते है इसी तरह जैसा कि हम जानते है
हर कण का प्रतिकण होता है क्या ब्रह्मांड का भी कोई प्रति ब्रह्मांड हो सकता है

जयपुर। वैज्ञानिकों ने सैद्धांतिक रूप से तथा प्रायोगिक रूप से यह प्रमाणित कर दिया  है कि ब्रह्मांड में प्रति पदार्थ का अस्तित्व है लेकिन अब यह प्रश्न उठता है कि क्या प्रति-ब्रह्माण्ड का अस्तित्व भी संभव हो सकता है? दुनिया में अगर देखा जाये तो हर सिक्के के दो पहलू होते है इसी तरह जैसा कि हम जानते है कि किसी भी आवेश वाले मूलभूत कण का एक विपरीत आवेश वाला प्रतिकण होता है।हर कण का प्रतिकण होता है क्या ब्रह्मांड का भी कोई प्रति ब्रह्मांड हो सकता है

लेकिन अनावेशित कण जैसे फोटान ग्रैवीटान का प्रति कण क्या होगा सकता है?  हम इस बात को जानते है कि कण और प्रतिकण मिल कर ऊर्जा बनाते है। फोटान और ग्रेवीटान जैसे कण बलवाहक कण होते है जो कि किसी कारण से वे स्वयं के प्रति कण हो सकते है। ग्रेवीटान कण स्वयं का प्रतिकण है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण और प्रतिगुरुत्वाकर्षण एक ही होता है। यह दोनो आकर्षण बल ही है।हर कण का प्रतिकण होता है क्या ब्रह्मांड का भी कोई प्रति ब्रह्मांड हो सकता है

पाल डीरेक का सिद्धांत के दो प्रकृति द्वारा प्रतिपदार्थ के निर्माण का उद्देश्य क्या है? और  क्या प्रति ब्रह्माण्ड का अस्तित्व हो सकता है ? प्रति बह्माण्ड के बारे में हम आपको कुछ जानकारी दे देते है। हमारे ब्रह्माण्ड की तीन सममीतीयां है  आवेश सादृश्यता तथा समय।  माना जाता था कि भौतिकी के नियम इन तीनो सममीतीयों का पालन करते है।

आवेश Cकण तथा प्रतिकण के लिए नियम समान है।

सादृश्यता P  – किसी अवस्था तथा उसकी दर्पण अवस्था के लिए नियम समान है

समय T- दूसरे शब्दों मे नियम भूतकाल मे तथा भविष्य मे समान है।हर कण का प्रतिकण होता है क्या ब्रह्मांड का भी कोई प्रति ब्रह्मांड हो सकता है

किसी भी प्रतिब्रह्माण्ड के लिए हमे इन तीन सममीतीयो मे से कम से कम एक या अधिकतम तीनो को विपरीत करना होगा। तब जाके इसकी गुत्थी सुलझाई जा सकती है। इसको समझा जा सकता है।

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