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Pfei के राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस में ‘स्वदेशी भाषा-स्वदेशी खेलों’ पर दिया गया जोर

फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) की ओर से देश में स्वदेशी खेलों के प्रति जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई-कांफ्रेंस का मंगलवार को ‘स्वदेशी भाषा-स्वदेशी खेलों’ के नारे के साथ समापन हुआ। पेफी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए देश की
Pfei के राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस में ‘स्वदेशी भाषा-स्वदेशी खेलों’ पर दिया गया जोर

फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) की ओर से देश में स्वदेशी खेलों के प्रति जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई-कांफ्रेंस का मंगलवार को ‘स्वदेशी भाषा-स्वदेशी खेलों’ के नारे के साथ समापन हुआ। पेफी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए देश की नई शिक्षा नीति का समर्थन करते हुए कहा कि बच्चों की शुरुआती शिक्षा में जिस प्रकार स्वदेशी भाषा पर जोर दिया गया है, उसी तरह क्लास पांच तक स्वदेशी खेलों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा की पारम्पारिक भारतीय खेलों के माध्यम से बच्चो का शारीरिक एवं मानसिक विकास सहजता से किया जा सकता है, जिससे आगे चलकर यह बच्चे आज के प्रसिद्ध आधुनिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकें।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव शरद कुमार शर्मा ने कहा की इस दो दिवसीय ई-कांफ्रेंस में देशभर के सभी राज्यों से स्वदेशी, परंपरागत क्षेत्रीय एवं वैदिक कालीन खेलों पर शोध पत्र एवं लेख आमंत्रित किए गए थे, जिनमें से चयनित श्रेष्ठ शोध पत्रों एवं लेखों का प्रस्तुतिकरण भी करवाया गया।

कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष अनिल करवंदे ने कहा की पेफी के द्वारा यह आयोजन अपने आप में अतिआवश्यक इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि देश में अभी तक इस ओर ध्यान न देने के कारण अधिकांश भारतीय परंपरागत स्वदेशी खेल विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं।

आयोजन में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिसमें खेल जगत, भारतीय संस्कृति एवं स्वदेशी खेलों में रूचि रखने वाले लगभग 3000 लोग इसमें सहभागी बने।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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