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China में धूमधाम से मनाया गया दुर्गोत्सव

परानुसार पंचमी के दिन से दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरूआत होती है, जो महानवमी तक चलती है। पूर्वी भारत के कई राज्यों में विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा में दुर्गोत्सव की पुरानी और गौरवशाली परंपरा रही है। यह सिर्फ दुर्गा की आराधना का त्यौहार नहीं है, बल्कि बंगाल की संस्कृति का परिचायक है। चीन की
China में धूमधाम से मनाया गया दुर्गोत्सव

परानुसार पंचमी के दिन से दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरूआत होती है, जो महानवमी तक चलती है। पूर्वी भारत के कई राज्यों में विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा में दुर्गोत्सव की पुरानी और गौरवशाली परंपरा रही है। यह सिर्फ दुर्गा की आराधना का त्यौहार नहीं है, बल्कि बंगाल की संस्कृति का परिचायक है। चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय दूतावास में दुर्गोत्सव मनाया गया। पेइचिंग में बंगाली समुदाय (बेइजिंग बोंग्स) ने इस दुर्गोत्सव का आयोजन किया, और भारी संख्या में लोग शामिल हुए। दूतावास में मनमोहक दुर्गा-प्रतिमा और रंग-बिरंगा पूजा पंडाल सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। इस दौरान वातावरण में भक्ति रस का समावेश हो गया।

दरअसल, साल 2018 में पेइचिंग में बंगाली समुदाय (बेइजिंग बोंग्स) ने पहली बार दुर्गोत्सव की शुरूआत की थी, और इस साल यह तीसरा दुर्गोत्सव था। दो दिनों तक चले इस दुर्गोत्सव में पूजा-अर्चना, संध्या आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, तीनों पहर का भोजन, धुनुची नाच, सिंदूर खेला आदि कार्यक्रम रखे गये।

चीन में बांग्लादेश के राजदूत और नेपाल के राजदूत ने वीडियो के जरिए दुर्गोत्सव की बधाई दी। उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा कि यह उत्सव बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाने का पर्व है।

शनिवार को दुर्गोत्सव में उपस्थित भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री ने भी दुर्गोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दुर्गा पूजा पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी जाना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल सभी के लिए एक कड़ा समय और चुनौतीपूर्ण रहा है। हमें दुर्गा पूजा के संदेश को आत्मसात करना चाहिए जो प्रेरणा और आशा देती है।

शनिवार को संध्या आरती के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसमें भारतीय और चीनी लोगों ने अपने हुनर के रंग बिखेरे। उनकी शानदार प्रस्तुतियों को देखकर हर कोई सराहना करता नजर आया। एक चीनी नर्तकी ने एक शानदार भारतीय शास्त्रीय नृत्य किया। वहीं, एक भारतीय युवक ने मंत्रमुग्ध कर देने वाला एक बंगाली गीत गाया, जो गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता से प्रेरित था।

इसके अलावा, चीन की वाद्ययंत्र कला मंडली ने चीनी संतूर वाद्ययंत्र से भारतीय गाने बजाकर उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, एक भारतीय महिला ने हिन्दी लेखक देवेंद्र पांडे की कविता ‘श्रीराम’ का पाठ किया।

उसके अगले दिन यानी रविवार को भारतीय दूतावास में पंडाल में मौजूद सभी महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर उत्सव मनाया। दरअसल, आज शारदीय नवरात्र का अंतिम दिन है और इस दिन बंगाली समुदाय के लोग मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करते हैं। इसे मां की विदाई के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस

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