तुलना करने की आदत हैं दुखों की खास वजह
दुनिया में ऐसा कोई मनुष्य नहीं हैं, जिसके अदंर सभी तरह की अच्छइयां हो, हर किसी के अन्दर कुछ कमजोरियां और कुछ अच्छाइयां शामिल होती हैं। मगर इंसानी फितरत हैं कि वह हमेशा खुद को कम करके आंकता हैं और जो आपके पास हैं उससे कभी भी संतुष्ट नहीं होता हैं। वही ज्यादातर लोग दूसरों से अपनी तुलना कर दुखी रहते हैं वही तुलना करना ही मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी कमजोरी होती हैं। वही मनुष्य के दुखों की जड़ भी उसके तुलना करने की आदत हैं। तो आज हम आपको एक कहानी से यह समझाने जा रहे है कि तुलना करने की भयंकर बीमारी कैसे हर मनुष्य को दुखी कर देती हैं तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें, कि एक कौआ था वह बहुत ही खुश रहता था और अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट भी था एक दिन उसने एक हंस को देखा वह सोचने लगा यह कितना सफेद और सुंदर हैं और मैं कितना बदसूरत हूं। यह हंस पक्का दुनिया में सबसे खुशहाल पक्षी होगा। वही उसने यह बात हंस से कही। हंस बोला मुझे भी लगता था कि मैं सबसे ज्यादा खुशहाल पक्षी हूं फिर मुझे तोता दिखा, जो दो रंग का होता है और बेहद सुंदर लगता हैं मुझे लगता हैं कि वह सबसे खुश होगा। कौवा तोता के पास पहुंचा कौवे ने तोते से कहा तुम इतने सुदंर हो तुम तो बहुत खुश होगे।
वही तोता ने जवाब दिया नहीं मैं नहीं, मोर को देखों वह कितना कलरफुल और सुंदर हैं कौआ एक जू में पहुंचा उसने देखा कि बहुत सारे लोग मोर के पिंजड़े को घेरे खड़े हैं जब लोग चले गए तो कौवा मोर के पाच पहुंचा और बोला तुम इतने सुदंर हो रोजाना सैकड़ों लोग तुम्हें देखने आते हैं। मगर मुझे देखते हैं लोग भगाने लगते हैं मुझे लगता हैं कि तुम सबसे खुशहाल पक्षी हो मोर बोला मुझे भी लगता था कि मैं दुनिया का सबसे सुदंर और खुशहाल पक्षी हूं। मगर मेरी सुंदरता की वजह से मुझे जू में बंद कर दिया गया हैं मैंने पाया हैं कि कौआ ही ऐसा पक्षी हैं, जो जू में नहीं हैं ऐसे में पिछले कुछ दिनों से मैं सोच रहा हूं कि काश मैं कौआ होता तो आजाद होकर कही भी जा पाता हैं। सच हैं, भगवान से हमें जो मिला हैं, अक्सर हम उसका मूल्य नहीं समझते और दूसरों से तुलना कर परेशान होते रहते हैं यही सारे दुखों की जड़ हैं।