क्या आप भी ऐसा सोचते हैं कि जिन बच्चों को स्कूल जाना पसंद नहीं होता है वे आलसी होते हैं, जबकि असल में ऐसा नहीं होता है क्योंकि एक नए शोध के अनुसार ये पता चला है कि उनके माता-पिता से आए जेनेटिक रीजन की वजह से वो स्कूल जाने में कम रूचि लेता है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 6 देशों के 13,000 से अधिक बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया कि 40 से 50 प्रतिशत तक बच्चों के स्कूल नहीं जाने का कारण हम उनके डीएनए के द्वारा समझा सकते हैं।
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि फैमिली और टीचर के जेनेटिक गुण बच्चे के स्कूल जाने को कई तरह से प्रभावित करते हैं। हालांकि, ऐसा पाया गया कि जेनेटिक कारण और कारणों की तुलना में खासा प्रभाव डालते हैं। परिणाम ये बताते हैं कि हमें किसी को भी ब्लेम करने से पहले दो बार सोचना चाहिए। क्योंकि जरूरी नहीं कि हर बार आपका बच्चा ही स्कूल जाने से अपना मन चुराता है।
अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि व्यक्तित्व में आए जेनेटिक मतभेद ही किसी बच्चे के स्कूल में मन नहीं लगने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम छात्रों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित कर नहीं सकते हैं पर हमें वास्तविकता से निपटने के लिए किसी और तरीके से सोचना जरूरी है। अध्ययन के दौरान, शोधकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जापान, जर्मनी, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के 9 से 16 साल की आयु के बच्चों पर गौर किया। उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की किस तरह एक बच्चा स्कूल में पढ़ने, लिखने और बोलने में अपनी रूचि दिखाता है।
उन्होंने पाया कि बच्चे जन्मजात मिलने वाले अपने जीनों के गुणों को फॉलो करते हैं। औसतन, उनके बीच जो भी 40 से 50 प्रतिशत तक का अंतर पाया गया वो आनुवंशिकी गुणों के कारण ही था। इन परिणामों के बाद वैज्ञानिकों ने ये बताया कि जीन के कारण आने वाले बदवालों से किसी बच्चे की सीखने की क्षमता पर कोई भी असर नहीं पड़ता है, क्योंकि किसी चीज को सीखने की सभी की अपनी-अपनी क्षमता होती है।