बिना बुखार हुए हो रहा डेंगू होता है खतरनाक, जानिए कैसे
जयपुर। यह जरूरी नहीं होता है कि डेंगू होने पर बुखार ही हो। बिना बुखार का डेंगू भी हो सकता है। जिसे एफेब्रिल डेंगू कहा जाता है। डॉक्टर बताते है कि यह डेंगू बुखार से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि लक्षण न होने के कारण मरीज इसे साधारण थकान या वायरल समझ लेता है।
एफेब्रिल डेंगू यानी बिना बुखार वाला डेंगू। मधुमेह के मरीज़ों, बूढ़े लोगों और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों में बुखार के बिना भी डेंगू हो सकता है। ऐसे मरीज़ों को बुखार तो नहीं होता, लेकिन डेंगू के दूसरे लक्षण ज़रूर होते हैं। ये लक्षण भी इतने हल्के होते हैं कि मरीज इस ओर ध्यान ही नहीं दे पाता। इसी कारण इसे बुखार वाले डेंगू से भी खतरनाक बताया गया है। क्योंकि मरीज को पता ही नहीं होता कि उसे डेंगू हो गया है। डॉक्टर बताते है कि यह ऐसे लोग बुज़ुर्गों, छोटे बच्चों,कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों,मधुमेह के मरीज़,कैंसर के मरीज़ या जिनका ट्रांसप्लांट ऐसे लोग इस डेंगू का शिकार बनते है। इस संबंध में विशेषज्ञ बताते हैं कि जुलाई से अक्टूबर के दौरान अगर किसी को शरीर में दर्द, थकान, भूख ना लगना, हल्का-सा रैश, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो, लेकिन बुखार की हिस्ट्री ना हो, तो वो बिना बुखार वाला डेंगू हो सकता है।ऐसी स्थिति होने पर आप डॉक्टर की सलाह जरूर ले। और साथ में ही प्लेटलेट्स भी चेक करवाना नहीं भूले। क्योंकि डेंगू होने पर सबसे पहले प्लेटलेट्स पर ही असर पड़ता है।कई बार जब डेंगू का मच्छर काटता है तो वो खून में बहुत कम वायरस छोड़ता है। इसलिए डेंगू के लक्षण भी बहुत हल्के होते हैं। वायरस की मात्रा के अनुसार ही लक्षण नजर आते हैं। कई बार वायरस इतना कम होता है कि लक्षण नजर ही नहीं आते। पर भीतर ही भीतर वह फैलता रहता है। जिससे प्लेजटलेट्स कम होते जाते हैं और यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।