स्पाइनल स्ट्रोक की परेशानी कहीं कर न दें आपके लिए आफत खड़ी
जयपुर । स्पाइनल स्ट्रोक यह नाम भी शायद आपने पहली बार सुना होगा । यह बीमारी आम बीमारी नही है । पर यह बीमारी हमारी लाइफस्टायल से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है । स्पाइन यानि रीढ़ की हड्डी , स्पाइनल स्ट्रोक रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई बीमारी है । यह बीमारी आज के युवा वर्ग को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है । उसका मुख्य कारण है हमारी बिगड़ती लाइफ स्टायल ।
लगातार एक ही जगह पर बैठ कर काम करना , रीढ़ की हड्डी पर ज्यादा ज़ोर बनाए रखता है । जिसके कारण उस पर पड़ने वाले दबाव का असर ब्लड के फ्लो पर भी पड़ता है । रक्त की आपूर्ति के कारण रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचता है । इससे शरीर के अन्य हिस्सों के साथ रीढ़ का संपर्क कट जाता है। स्पाइनल स्ट्रोक से लकवा हो सकता है। साथ ही जानलेवा स्थिति भी खड़ी हो सकती है। अन्य स्ट्रोक में ब्रेन को जाने वाला ब्लड भी रुक जाता है। इसमे असहनीय दर्द की शिकायत भी होती है । कुछ मामले में रीढ़ की हड्डी का दर्द किसी अन्य प्रकार के रोग या रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार का संकेत दे सकता है। यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो यह दर्द शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। जैसे – कंधे, बाजू, पीठ का निचला हिस्सा, कूल्हे, टांग, यहां तक की पैर।
क्या होते हैं स्पाइनल अटेक के लक्षण :-
मांसपेशियों की ऐंठन,चलने में कठिनाई,पैर सुन्न होना, झुनझुनी,मूत्राशय पर नियंत्रण खोना,मांसपेशी में कमज़ोरी,लकवा,सांस लेने मे तकलीफ,गंभीर मामलों में, एक रीढ़ की हड्डी में स्ट्रोक मौत का कारण भी बन सकता है।
क्यों होती है स्पाइनल स्ट्रोक की परेशानी :-
लगातार हाई कोलेस्ट्रॉल,हाई ब्लड प्रेशर,हार्ट संबंधी कोई बीमारी या परिवार में हार्ट अटैक का इतिहास,मोटापा,डायबिटीज,धूम्रपान,अत्यधिक शराब का सेवन,व्यायाम की कमी, लंबे समय तक एक ही जगह बैठना , गलत पोशचर में बैठना इत्यादि ।
स्पाइनल स्ट्रोक की ऐसे होती है जांच
स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण नजर आने पर तत्काल मरीज को तत्काल इलाज की जरूरत होती है। डॉक्टर लक्षणों के बारे में पूछेगा, और जरूरत पड़ने पर टेस्ट करवाएगा। सबसे पहले पैरों में झनझनी या मांसपेशियों की कमजोरी के बारे में पूछेंगे। यदि रीढ़ की हड्डी में स्ट्रोक का संदेह है, तो एमआरआई करवाई जाती है। इससे रीढ़ की हड्डी को हुए हर तरह के नुकसान का चल जाता है।MRI से उस स्थान का पता चलता है जहां खून की रुकावट हुई है। इसके बाद पहले दवाओं और गंभीर स्थिति में सर्जरी से इलाज किया जाता है। इस्केमिक स्पाइनल स्ट्रोक की स्थिति में डॉक्टर मरीज को खून पतला करने और खून के थक्कों का जोखिम कम करने के लिए दवाएं देगा। इन्हें एंटीप्लेटलेट और एंटीकोआगुलेंट दवाओं के रूप में जाना जाता है। इनमें एस्पिरिन जैसी सामान्य दवाएं शामिल हैं।
डॉ. नाधीर के. एम. के अनुसार, रीढ़ की हड्डी की जांच के लिए डॉक्टर एक्सरे या सिटी स्कैन भी करवाते हैं। डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए भी दवाएं देंगे और लाइफ स्टाइल सुधारने को कहेंगे। लकवा होने की स्थिति में फिजिकल थेरेपी करवाई जाती है।