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क्या भूत वाकई में होते हैं?

अक्सर हम रातों में जब साथ बैठे होते हैं तो एक विषय पर चर्चा जरूर होती ही है और वो है “भूत”! कई लोग भूत और इन सब में विश्वास नहीं करते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो नाम सुनकर ही उस जगह पर जाना फिर कभी पसंद नहीं करते हैं। तो दुनिया में
क्या भूत वाकई में होते हैं?

अक्सर हम रातों में जब साथ बैठे होते हैं तो एक विषय पर चर्चा जरूर होती ही है और वो है “भूत”! कई लोग भूत और इन सब में विश्वास नहीं करते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो नाम सुनकर ही उस जगह पर जाना फिर कभी पसंद नहीं करते हैं। तो दुनिया में भूत को मानने और ना मानने वाले दोनों तरह के लोग होते हैं तो आप अगर ऐसा सोचते हैं कि आप उसमें अकेले हैं तो डरने की कोई बात नहीं है। हम जगह जगह पर आए दिन किसी ना किसी से भूत होने की खबर सुनते ही हैं पर क्या आपने कभी सोचा कि क्या भूत सच में होते हैं? कई लोगों को भूत का अनुभव होता है पर कभी कोई साफ जवाब नहीं दे पाया तो चलिए आज हम आपतो बताते हैं कि क्या भूत होते हैं!

अक्सर सुनने में हमें यही मिलता है कि किसी इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा जो यहां घूमती रहती है उन्हीं को कई लोग भूत मानते हैं। मतलब भूत एक इंसान हैं जो मर चुका हैं। हमारी मौत के बाद अगर किसी कारणवश हमारी आत्मा दूसरे आयाम में जाती हैं औऱ शांत ना होकर इसी भौतिक दुनिया में फ़ंस जाती हैं जिसे उसके अगले आयाम में जाने की जरूरत होती हैं।क्या भूत वाकई में होते हैं?

लेकिन किसी जगह विशेष का भी अहम रोल होता है किसी जगह को डरावना बनने के लिए। आप किसी जगह पर यदि पहले से ही कुछ ऐसे ख्याल लेकर जाएंगे तो आपको हर हल में डर लगना ही है।

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वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भूतों का होना कमरे में तरह-तरह की संभावनाओं पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं भूतों को लेकर दिए हुए वैज्ञानिकों के कुछ तर्क-क्या भूत वाकई में होते हैं?

  1. भूत और इलेक्ट्रिक्ल फील्ड- कई डरावनी जगहों पर शोधकर्ताओं ने सामान्य जगहों की तुलना से ज्यादा और असामान्य उतार-चढ़ाव वालामजबूत चुम्बकीय क्षेत्र होने का दावा किया हैं। जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से संबंधित बात हो सकती हैं। इंसान के आसपास चुम्बकीय क्षेत्र ज्यादा होने से उसको उसके आसपास किसी चीज या इंसान के होने का आभास होता हैं। यह चुम्बकीय क्षेत्र इंसान के दिमाग पर भी असर डालता हैं।

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  1. तापमान- ठंडे स्थानों पर बनी इमारतों पर भूतों का दिखना या अनुभव होना एक आम बात हैं।ज्यादातर लोग अचानक आए हुए ठंडी हवा के झोंके को भी भूत मान बैठते हैं और घबरा जाते हैं। एक बार ऐसा हो जाए और सभी परिस्थिति अनुकूल हों तो भी डराने का काम हमारा दिमाग ही कर देता है।

3. कम सुनने वाली ध्वनियां- कुछ प्रयोगों में साबित हो चुका है कि भूतिया जगह कही जाने वाली जगहों पर कम आवृति     की वाली तरंगो का साम्राज्य होता हैं। ये infrasounds भी भूतिया अनुभूतियों का कारण बन सकती हैं। इससे           घबराहट और बैचेनी के साथ रूम या जगह पर किसी की मौजूदगी का अनुभव होता हैं।

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लेकिन फिर भी कितने ही वैज्ञानिक प्रयोग हो जाए तो भी भूत आज भी अपने आप में एक रहस्य बना हुआ है। और इस डर का कहीं ना कहीं मुख्य कारण मन में पैदा होने वाला भ्रम ही है, जो इंसान को किसी ना किसी बात का डर उसके मन में बिठा देता है।

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