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क्या जानवर इंसानों की भाषा को समझ पाते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में!

मनुष्यों का हाउस पेट्स के साथ एक विशेष संबंध होता है और पेट्स रखने वाले लोगों में से लगभग 62 प्रतिशत ये दावा करते हैं कि उनके पेट्स वो शब्द समझते हैं जो वो बोलते हैं। हालांकि, इसे पता करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि कुछ कुत्ते,
क्या जानवर इंसानों की भाषा को समझ पाते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में!

मनुष्यों का हाउस पेट्स के साथ एक विशेष संबंध होता है और पेट्स रखने वाले लोगों में से लगभग 62 प्रतिशत ये दावा करते हैं कि उनके पेट्स वो शब्द समझते हैं जो वो बोलते हैं। हालांकि, इसे पता करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि कुछ कुत्ते, वानर और डॉल्फिन भी बोली जाने वाली भाषा समझ सकते हैं। एक अध्ययन में, रिको नामक एक बाॅर्डर काॅली ने प्रदर्शन किया कि वह 200 से अधिक वस्तुओं का नाम जानता था।

चेजर नाम के एक और बाॅर्डर कोली पर भी इसी तरह का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में न केवल चेजर कम से कम 1,022 वस्तुओं के नामों में भेद कर सकता था, बल्कि वे नई वस्तुओं के नामों का अनुमान भी लगा सकता था। उदाहरण के लिए, अगर उसे एक ऐसे बंदर वाले खिलौने को लाने के लिए कहा जाता जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था, तो वह उन्मूलन की प्रक्रिया के माध्यम से बंदर का पता लगा सकता था।

लेकिन उन अन्य जानवरों के बारे में क्या है जो इंसानों के साथ इतने घनिष्ठ संबंध नहीं रखते हैं? एक बोनोबो एप कांजी के मामले पर विचार करें। अपने ट्रेनर के साथ काम करने के कई वर्षों के दौरान, कांजी 3,000 से अधिक अंग्रेजी शब्दों के बारे में अपनी समझ प्रदर्शित करने में सक्षम था।

एक शोधकर्ता किसी भी क्लू को दिए बिना अलग कमरे से शब्दों को बोलता था और कांजी हेडफोन के जरिए सुनकर अपने विशेष कीबोर्ड पर शब्द को पाॅइंट करता था।  शायद बाॅटलनोज डॉल्फिन की एक जोड़ी का केस और भी ज्यादा रोचक था, जिन्होंने दिखाया कि वे पूर्ण वाक्यों को समझने में सक्षम थे। प्रशिक्षक ने डॉल्फिन के साथ संवाद करने के लिए कंप्यूटर से उत्पन्न आवाजें और हाथ सिग्नल का उपयोग किया, जो लंबाई में दो से पांच शब्दों के निर्देशों का पालन करने में सक्षम थे।

डॉल्फिन भी टैंक में उनके साथ उपलब्ध आदेशों को 30 सेकंड के बाद वस्तुओं को ढूंढ़ने के बाद उनके प्रशिक्षकों को रिपोर्ट कर सकते थे। हाउसकैट्स के अध्ययन से पता चलता है कि बिल्लियां आसानी से अपने मालिक की आवाज पहचान सकती थीं।

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