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धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

दीवाली रोशनी का पर्व माना जाता हैं यह हिंदू धर्म का त्योहार हैं जिसे हर साल शरद ऋतु में मनाया जाता हैं, दिवाली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता हैं यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय को दिखाता हैं वही भारतवर्ष में दीवाली का सामाजिक और धार्मिक दोनो दृष्टि से अत्यधिक महत्व होता हैं इसे दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं।
धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म के सभी पर्व बहुत ही खास महत्व रखते हैं वही दीवाली रोशनी का पर्व माना जाता हैं यह हिंदू धर्म का त्योहार हैं जिसे हर साल शरद ऋतु में मनाया जाता हैं, दिवाली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता हैं यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की वियज को दिखाता हैं धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्तवही भारतवर्ष में दीवाली का सामाजिक और धार्मिक दोनो दृष्टि से अत्यधिक महत्व होता हैं इसे दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं। वही बता दें कि यह पर्व कई दिनों तक चलने वाला महापर्व माना जाता हैं। वही आज हम आपको इस महापर्व के महत्वपूर्ण दिनों में कौन कौन से पर्व मनाए जाते हैं उन सभी के शुभ मुहूर्त के बारे में बातने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्तपहला धनतेरस—
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता हैं धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे धनतेरस कहा जाता हैं, धनवंतरी के जन्म के अलावा इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती हैं।

धनतेरस— शुक्रवार, 25 अक्टूबर
शुभ मुहूर्त—
शाम 19:10 से 20:15 तक
प्रदोष काल—
17:42 से 20:15 तक
वृषभ काल—
18:51 से 20:47 तकधनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

दूसरा नरक चतुर्दशी—
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नकर चतुर्दशी के रूप में जानी जाती हैं पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती हैं दिवाली से एक दिन पहले मनाए जाने की वजह से इसे नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता हैं।

नरक चतुर्दशी— शनिवार, 26 अक्टूबर
अभ्यंग स्नान समय
05:15 से 06:29 तकधनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

तीसरा महापर्व दीपावली—
दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता हैं दीपावली शब्द की उत्पति दो शब्दों से मिलकर हुई हैं। दीप+आवली=दीपावली। दीप का अर्थ हैं दिया और आवली का अर्थ है श्रृंखला। इस पर्व को प्रकाश का उत्सव भी कहा जाता हैं।

दीपावली और लक्ष्मी पूजा रविवार 27 अक्टूबर
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
रात में 18:44 से 20:14 तक
प्रदोष काल—
17:40 से 20:14 तक
वृषभ काल—
18: 44 से 20:39 तक

दीपावली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
23:39 से 24:30 तक
महानिशीथ काल
23:39 से 24:30 तक
सिंह काल
25:15:33 से 27:33:12 तकधनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ)
13:28 से 14:52 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल)
17:40 से 22:29 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ)
25:41:26 से 27:17:36 तक
उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ)
28:53:46 से 30:29:57 तक

गोवर्धन पूजा— सोमवार,28 अक्टूबर
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त
15:25 से 17:39 तकधनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

भाई दूज—
भाई दूज- मंगलवार, 29 अक्टूबर
भाई दूज का मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय
13:11 से 15:25 तक

दीवाली रोशनी का पर्व माना जाता हैं यह हिंदू धर्म का त्योहार हैं जिसे हर साल शरद ऋतु में मनाया जाता हैं, दिवाली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता हैं यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय को दिखाता हैं वही भारतवर्ष में दीवाली का सामाजिक और धार्मिक दोनो दृष्टि से अत्यधिक महत्व होता हैं इसे दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का शुभ मुहूर्त

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