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दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

फिल्म शीर कोरमा का पहला पोस्टर रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म की कहानी दो मुस्लिम लड़कियों के समलैंगिग रिश्तों पर आधारित है। फिल्म में मुख्य किरदार में दिव्या दत्ता और स्वरा भास्कर नजर आने वाली है। जैसे ही फिल्म का पहला पोस्टर आया वैसे ही ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

फिल्म शीर कोरमा का पहला पोस्टर रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म की कहानी दो मुस्लिम लड़कियों के समलैंगिग रिश्तों पर आधारित है। फिल्म में मुख्य किरदार में दिव्या दत्ता और स्वरा भास्कर नजर आने वाली है। जैसे ही फिल्म का पहला पोस्टर आया वैसे ही ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। फिल्म के पोस्टर के साथ इसका विरोध हुआ और कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फिल्म की रिलीज के रास्ते में बहुत सी दिक्कतें आ सकती है।दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

दिव्या दत्ता ने एक इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के उस दौर की बातें शेयर की हैं जब वह भारी डिप्रेशन में चली गई थी। मुंबई मिरर से बातचीत में दिव्या ने बताया कि, ‘मेरा डिप्रेशन एक बहुत ही अलग वजह से था। ये तब हुआ जब मेरी मां गुजर गई थी। वह मेरे लिए सब कुछ थी। मेरी निजी या प्रोफेशनल जिंदगी में कुछ भी गड़बड़ होती थी तो वो हमेशा मेरी दिक्कतों का हल होती थी।दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

‘वह 35 साल की उम्र में विधवा हो गई थी और उन्होंने हमें (मुझे और मेरे भाई को) एक सिंगल मदर के तौर पर बड़ा किया था। उन्होंने दोबारा कभी अपनी जिंदगी के बारे में नहीं सोचा और हमारे इर्द-गिर्द ही अपनी दुनिया बुन ली। वो कहती थीं, ‘बेटा तुम एक रिजेक्शन से परेशान क्यों हो रही हो? तुमने अभी पूरी जिंदगी नहीं गुजारी है।’ जब वो गुजर गईं तो मुझे नहीं पता था कि जिंदगी का सामना किस तरह करना है।’दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

दिव्या ने बताया कि, उन्होंने बहुत ज्यादा काम करना शुरू कर दिया। इतना ज्यादा कि वह घर भी नहीं लौटा करती थी। हालांकि इससे दिक्कत और बढ़ गई क्योंकि मैं अपनी भावनात्मक दिक्कतों का हल नहीं कर पा रही थी। मुझे पैनिक अटैक आने लगे, घबराहट होने लगी और दवाइयां लेनी शुरू कर दी। मेरा दवाइयों का डिब्बा बड़ा होता जा रहा था और मैंने सोचा कि ये मैं कर क्या रही हूं।दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

इसके बाद अंततः मैंने योग और ध्यान की मदद लेनी शुरू की। आध्यात्म ने मेरी मदद की, मेरे भाई ने और उसके परिवार ने मेरी मदद की। मेरी छोटी सी पेट सखी और मेरे तमाम दोस्त मेरी मदद के लिए आगे आए, मुझे लगा कि अब मैं ठीक हो गईं हूं लेकिन हां वो खालीपन हमेशा वहां मौजूद था।दिव्या दत्ता ने सुनाया अपनी जिंदगी का सबसे दर्द भरा अनुभव

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